Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vano Ka Mahatva”, “वनों का महत्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
वनों का महत्व
Vano Ka Mahatva
भारत की शस्य-श्यामला छवि ने भला किसको आकर्षित नहीं किया। यह देश सदैव अपनी प्राकृतिक शोभा, रमणीयता और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध रहा है। मात्र भारतीय ही क्यों विदेशी भी भले ही वह भारत दर्शन के लिए आया हो, भारत की अध्यात्म-विद्या से प्रभावित शांति की खोज में आया हो या भारत को ‘सोने की चिड़िया’ देश उसे लूटने की दृष्टि से आया हो, उसकी प्राकृतिक छवि को क्षण भर के लिए मंत्र-मुग्ध हुए बिना नहीं रह सका, और इतिहास इसका शाक्षी है कि हिमालय की सघन वनराशि की हरीतिमा को सुखद छाया वाली सघन कुंज, विंध्याचल के वैभवपूर्ण वन सहसा दर्शक के हृदय और नेत्रों को अपने यौवन की ओर आकर्षित कर लेते थे।
मानव जीवन वास्तव में विभिन्न विरोधाभासों से भरा हुआ है। मानव के इस शुष्कजीवन को सरस बनाने में प्रकृति ने पर्याप्त योगदान दिया है। प्रारम्भ से ही मानव प्रकृति के विषय में जिज्ञासु रहा है। मानव ने कल्पना के द्वारा प्रकृति को विभिन्न रूपों में देखा है। भारतीय जीवन में प्रत्येक वस्तु का महत्व उसकी पूजा-आराधना द्वारा प्रसिद्ध किया जाता है। प्रकृति आर्थात् वृ़क्षों में भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में देवत्व का आरोप किया गया है। जैसे पीपल के वृक्ष की पूजा आज भी की जाती है। आज की स्त्रियाँ व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करती हैं। आज भी स्त्रियाँ उस पर जल अर्पण करती हैं। केले के वृक्ष की पूजा भी शास्त्रों में उल्लेखित है। तुलसी पौधे का महत्व तो भारतीय जीवन में सर्वविदित है। आज भी तुलसी की प्रातःकाल और सांयकाल पूजा की जाती है। हर शुभ कार्य में तुलसी को विशेष महत्व देते हैं। भारतीय मात्र अंधविश्वास के कारण इन पेड़-पौधों की आराधना नहीं करते बल्कि उपयोगिता की दृष्टि से भी इनका महत्व विश्व-प्रसिद्ध है। अशोक वृ़क्ष शुभ और मंगलमय समझा जाता है। रामचरितमानस में सीता “तरू अशोक मम् करहु अशोका’’ कहकर उसे प्रणाम करती हैं।
वैज्ञानिक परीक्षणों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वृक्षों से मानव को अनेक लाभ हैं। सर्वप्रथम तो वृक्षों से तापमान का नियंत्रण है। सूर्य के प्रकाश में वृ़़क्ष अत्यधिक मात्रा में आॅक्सिजन का निर्माण करते हैं जिससे वातावरण शुद्ध होता है और शुद्ध वायु से मानव-स्वास्थ्य भी कम विकारग्रस्त होता है। वृक्षों की कमी से वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत ओजोन जो सूरज की ‘‘अल्ट्रावायलट किरणों’’ को पृथ्वी पर आने से रोकती हैं में छेद होने लगे हैं जिसकी वजह से त्वचा के कैंसर जैसी भयानक बीमारी होने का खतरा बढ़ता जा रहा है, इसलिए वृक्षों की कटाई को रोककर वृ़क्षारोपरण पर जोर देना होगा।
कुछ वृक्षों और जड़ी-बूटियों से अमूल्य औषधियों की प्राप्ति होती है जैसे नीम, तुलसी इत्यादि। ऋतु अनुसार अनेक प्रकार के स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक फल भी वृक्षों द्वारा ही प्राप्त होते हैं। यहाँ तक कि सूखे पत्ते भी पुनः खाद बनकर नवीन वृक्षों को पनपने में योगदान देते हैं। वृक्ष की जड़ें मिट्टी को बाँधें रखती हैं जिससे बारिश में उपजाऊ मिट्टी बह नहीं पाती है।
वृक्ष समय पर वर्षा कराने में अत्यंत सहायक होते हैं जिसमें हम अन्नाभाव से बच सकते हैं। इन बड़े-बड़े लाभों के अतिरिक्त वृक्ष छोटे-मोटे घरेलू कामों में भी उपयुक्त होते हैं। जैसे सूखे वृक्षों से ही लकड़ी काटकर फर्नीचर इत्यादि वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। ईंधन के स्थान पर लकड़ी का प्रयोग होता है। आँवला, चमेली, गुलाब इत्यादि पौधों से फल, फूल, तेल और औषधियाँ सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है।
प्राचीन समय में तो महान् साधु-संत वृक्षों का उदाहरण दकर हमें नैतिकता की शिक्षा दिया करते थे जैसे-
‘‘वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै नदी न संचे नीर।
परमारथ के कारन, साधुन धरा शरीर।।’’
इसी प्रकार कहा गया है कि फलों से लदा वृक्ष नीचे की ओर झुकता है उसी प्रकार विद्वान गुणवान व्यक्ति भी सदैव विनम्रता को धारण किए रहता है। एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा गया है कि सूखा वृक्ष कुछ दिनों में पुनः हरा-भरा होने लगता है, इसी प्रकार मानव को भी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि समय के कारण जीवन में आये दुःख को धैयपूर्ण रहकर पुनः वृक्ष के समान मुस्कराना चाहिए।
इन विभिन्न तथ्यों को स्वीकार करने के पश्चात् सरकार ने यह अनुभव किया कि वृक्ष हमारे नैतिक, सामजिक, आर्थिक समृद्धि के मूल स़्त्रोत हैं इसलिए 1976 में केन्द्र सरकार ने भी राज्यों में यह निर्देश भेजा कि केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना कोई भी जंगल की सफाई या वृ़क्ष की कटाई नहीं करेगा। कुछ असामाजिक तत्वों के कारण इस नियम के पारित होने पर भी हिमालय के सघन वृक्षों की कटाई की सूचना सरकार को मिली जिसमें कठोर अनुशासन की कार्यवाही की गयी। अब आशा की जा सकती है कि हम अपनी इस संपदा को, प्राकृतिक रमणीयता को नष्ट होने से बचा लेंगे।
वर्तमान समय में सरकार वृक्षारोपण पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। प्रति वर्ष लाखों वृ़क्ष लगाए जाते हैं। वृक्षों के काटने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। किसी कारण भी वृ़क्ष को काटने पर सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। दिल्ली में ‘हरित दिल्ली’ अभियान भी चलाया जा रहा है। वृक्षों के प्रति सामाजिक चेतना जागृत करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। हमें यह समझना होगा कि वृक्ष ही हमारा जीवन है।