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Archive by category "Languages" (Page 3)
Simple Living and High Thinking Great men of the world have always preached that simple living and high thinking should be the golden principle of life. Most of the men in the annals of history have practised this principle and achieved greatness in all its glory. All great saints like Mahatma Gandhi, Guru Nanak and Buddha, etc., who attained spiritual greatness and shook the world by their intellectual thinking, are examples...
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July 23, 2024 evirtualguru_ajaygourEnglish (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
शब्द शक्ति Shabd Shakti शब्द के अर्थ का बोध कराने वाली शक्ति को शब्द-शक्ति कहते हैं। शब्द शक्तियाँ 3 प्रकार की होती हैं – अभिधा शक्ति जब किसी शब्द का वही अर्थ निकले, जो सामान्य तौर पर प्रचलित हो, वहाँ अभिधा शक्ति होती है। जैसे- अपने घर से सबको प्रेम होता है। यहाँ घर का तात्पर्य निवास से है। लक्षणा शक्ति जब प्रचलित अर्थ से काम न चले और कोई प्रतीकात्मक...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
शब्द गुण Shabd Gun साहित्य-शास्त्र में शब्द के गुणों का भी निरूपण किया गया है। किसी शब्द में श्रुति- मधुरता तथा कोमलता होती है, तो कोई शब्द कर्णकटु और कर्कश होता है – जैसे ‘तरुन अरुन वारिज नयन’ की कोमलता के सामने ‘डगमगान महि दिग्गज डोले’, या ‘प्रबल प्रचण्ड बरिबंड बाहुदण्ड वीर’ की कर्कशता स्वयं सिद्ध होती है। इसी प्रकार कोई कथन समझने में सुगम और कोई क्लिष्ट होता है। किसी...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विरोधाभास अलंकार Virodhabhas Alankar जहाँ वास्तव में विरोध न होने पर भी विरोध की प्रतीति श्लेष आदि के चमत्कार से कराई जाती है, तो वहाँ विरोधाभास अंलकार होता है। जैसे- या अनुरागी चित्र की गति समुझै नहिं कोय । ज्यों-ज्यों बूड़ै स्यामरंग त्यों-त्यों उज्जवल होय ॥ यहाँ श्याम रंग में डूबने पर उज्जवल होने का विरोधाभास है। कुछ अलंकारों की संक्षिप्त पहचान क्रमांक अलंकार का नाम ...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सन्देह अलंकार Sandeh Alankar जब उपमेय और उपमान में समान दृश्यता के कारण को देखने पर उपमेय का भ्रम हो, तो भ्रान्तिमान अलंकार होता है। भ्रांतिमान के द्वारा जो भ्रम होता है, वह क्षणिक होता है। जैसे- दायाँ हाथ लिए था सुरभित, चित्र – विचित्र सुमन माला । टाँगा धनुष कि कल्प लता पर, मनसिज ने झूला डाला। भ्रांतिमान और संदेह में यह अंतर है कि संदेह में संदेह बना रहता...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भ्रान्तिमान ( भ्रम) अलंकार Bhrantiman Alankar जब उपमान को देखने पर उपमेय का भ्रम हो, तो भ्रान्तिमान अलंकार होता है। भ्रांतिमान के द्वारा जो भ्रम होता है, वह क्षणिक होता है। जैसे- पायँ पहावर देन कौ, नाइन बैठी आय। फिर फिर जान महावरी ऐंड़ी मींड़त जाय। कपि करि हृदय विचारि, दीन्ह मुद्रिका डारि तब । जानि अशोक अँगार, सीय हरखि उठकर गहेउ । नारी बीच सारी है, कि सारी बीच नारी...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अपह्नति अलंकार Aphunti Alankar जहाँ वास्तविक वस्तु का (उपमेय) निषेध करके अवस्तु (उपमान) की स्थापना की जाय, वहाँ अपह्नति अलंकार होगा। जैसे – मैं जो कहा रघुवीर कृपाला, बन्धु न होइ मोर यह काला । यहाँ भाई (उपमेय) का निषेध करके काल (उपमान) की स्थापना की गई है। अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी । हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी।
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अनन्वय अलंकार Ananvay Alankar जहाँ उपमान और उपमेय एक ही हों, वहाँ अनन्वय अलंकार होता है। जैसे- राम से राम, सिया सी सिया, सिरमौर विरंचि विचारि संवारे । स्वामि गुसाइहिं सरिस गुसाईं, माहिं समान मैं स्वामि दुहाई ।
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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