Sardiyo me Barish ka Din “सर्दियों में बारिश का दिन” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation and other classes.
सर्दियों में बारिश का दिन
गर्मियों में बारिशों का हर कोई सदा स्वागत करता है। लेकिन सर्दियों में वर्षा हमेशा स्वागत का साधन नहीं होता। सर्दियों में बारिश में भीगना बर्फ में लगने जैसा होता है। कोई भी गीला होना और हड्डियों तक ठिठुरना नहीं चाहता।
यह दिसम्बर का दिन था। आसमान में बादल छाए हुए थे। तेज़ हवा चल रही थी। लोग अपने गर्म कपड़ों में भी ठिठुर रहे थे। दोपहर तक बूंदा-बांदी शुरु हो गई। जल्दी तेज वर्षा शुरू हो गई। तेज हवा चलती रही। सड़कें फिसलनदार और कीचड़ से भर गईं। वे खाली थीं। सड़कों पर थोड़े से वाहन थे। वे पानी और कीचड़ रास्तें में उछालते जा रहे थे। दुकानों पर कोई ग्राहक नहीं था। असल में कोई भी इतनी ठण्ड में बाहर आना पसन्द नहीं करता। वे जो बारिश में फंस गए थे। वे बारिश और ठण्ड से बचने के लिए अनुकूल बचने का स्थान ढूँढ रहे थे। वे जो भीग गए थे वे ठण्ड से काँपते नज़र आ रहे थे। वे कड़कड़ाती ठण्ड और बारिश में घर नहीं जा सकते थे।
विद्यार्थी बारिश फंस गए थे। स्कूल बन्द हो गए थे और बच्चे बाहर आ गए थे। वे भीग रहे थे। बारिश ने उनकी पुस्तकें और वर्दियाँ खराब कर दी थीं। कुछ छतरी ले कर जा रहे थे। वे बचे हुए थे। जो स्कूल की बस में आए थे वे फटाफट बस में जा रहे थे। बाकी वर्षा और ठण्ड का सामाना कर रहे थे और घर जा रहे थे।
शाम तक बारिश बन्द हो गई। लोग जरूरी सामान खदीदने के लिए घर से निकलना शुरू हो गए। हवा और ठण्डी हो गई थी। यह शरीर के अन्दर तक जा रही थी। लोग अपने आप को गर्म रखने की कोशिश कर रहे थे। गर्म चाय की बहुत माँग थी। साईकिल सवार और स्कूटर सवार अपने हाथों को गर्म करने की भरसक कोशिश कर रहे थे। वे अपना संतुलन मुश्किल से बना पा रहे थे। अधिकतर लोग घरों के अन्दर हो रहे और आग के आस-पास बैठे थे।