Utpreksha Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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उत्प्रेक्षा अलंकार  Utpreksha Alankar उत्प्रेक्षा का अर्थ है – सम्भावना या कल्पना। जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त किये जाने से चमत्कार प्रकट हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। संभावना का भाव प्रकट करने के लिये जनु, मनु, मानो आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार में एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार के वाचक शब्द हैं- मानो, मनु, मनहुँ, जानो,...
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Rupak Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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रूपक अलंकार Rupak Alankar जब उपमेय में उपमान का आरोप किया जाय, तो रूपक अलंकार होता है। उपमान का आरोप करने का अर्थ यह है कि उपमेय के रूप में उपमान स्वयं उपस्थित हो। इस प्रकार उपमेय (जो कि वास्तव में उपमान से कुछ हीन ही होता है) को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, मानो उसने उपमान के सब गुण- रूप-कर्म स्वयं प्राप्त कर लिये हैं। सामान्य भाषा में अनेक रूपक...
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Upma Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | उपमा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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उपमा अलंकार Upma Alankar उपमा का अर्थ है (उप + मा – उप-समीप, मा-तौलना) समीप से तौलना । उपमा का सामान्य अर्थ है तुलना करना। परिभाषा – जब काव्य में एक व्यक्ति या वस्तु की गुणों के आधार पर किसी दूसरे व्यक्ति अथवा वस्तु से तुलना की जाये, तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। उदाहरण – राधा मुख चंद्र सौ सुंदर । यहाँ पर सुंदरता के गुण के आधार पर...
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Arth Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | अर्थालंकार की परिभाषा और उदाहरण

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अर्थालंकार Arth Alankar जहाँ काव्य में अर्थ के कारण काव्य के सौंदर्य में अभिवृद्धि हो, उसे अर्थालंकार कहते हैं। शब्दालंकार में शब्दों के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है और अर्थालंकार में अर्थ के कारण। शब्दालंकार में यदि चमत्कार लाने वाले शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची शब्द रख दिये जावें, तो चमत्कार नष्ट हो जावेगा, किन्तु अर्थालंकार में जिन शब्दों के माध्यम से अर्थ में चमत्कारिकता आती है, उन...
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Vakrokti Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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वक्रोक्ति अलंकार Vakrokti Alankar वक्रोक्ति अलंकार तब होता है, जब वक्ता कुछ कहे और सुनने वाला जानबूझकर उसका अन्य अर्थ समझे। इसमे स्वर द्वारा भी अर्थ में विचित्रता उत्पन्न की जाती है। इस आधार पर इसके दो भेद हैं – श्लेष वक्रोक्ति और काकु वक्रोक्ति। श्लेष वक्रोक्ति – जहाँ पर शब्द के अर्थ का दूसरा अर्थ लगाकर व्यंग या हास्य उत्पन्न किया जावे, वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है। जैसे- ‘को...
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Salesh Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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श्लेष अलंकार Salesh Alankar एक ही शब्द में छुपे रहें, कई-कई उनके अर्थ । चिपका हुआ श्लेष है, और नहीं कोई शर्त | श्लेष शब्द का अर्थ है – चिपका हुआ। परिभाषा – जब काव्य में किसी एक शब्द का इस तरह प्रयोग किया जाये कि उसमें अनेक अर्थ हुए हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे – सुबरन को खोजत फिरैं, कवि व्याभिचारी चोर। यहाँ पर सुबरन का अर्थ...
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Yamak Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | यमक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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यमक अलंकार Yamak Alankar एक ही शब्द प्रयुक्त हो, जब कविता में कई बार। यमक वहाँ कहलायेगा, जहाँ अर्थ बदले बार-बार। परिभाषा – जब काव्य में एक ही शब्द कई बार आये और हर बार उसका अर्थ बदल जाये तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी, ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाति हैं। कंद मूल भोग करें, कंद मूल भोग करें। तीन नेर खातीं तों,...
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Anupras Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar जहाँ एक ही वर्ण का एक से अधिक बार प्रयोग होता है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे – प्रति भट कटक कटीले केते काटि-काटि, कालिका सी किलकि कलेऊ देत काल को। यहाँ ‘क’ वर्ण की अनेक बार आवृत्ति से कविता में सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है। अतएव यहाँ अनुप्रास अलंकार है। बाल-बिनोद मोद मन मोह्यो। यहाँ ‘ब’ तथा ‘म’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार...
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