Mere School ka Chaprasi “मेरे स्कूल का चपरासी” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मेरे स्कूल का चपरासी
या
स्कूल का चपरासी
हमारे स्कूल में केवल एक ही चपरासी है। उसका नाम प्रेम कुमार है। वह पैन्तीस साल का जवान आदमी है। वह लम्बा और बलवान है। वह जागरुक है। वह हमेशा मुस्कराता रहता है। वह साफ वस्त्र पहनता है। विद्यालय में सब उसे जानते हैं।
वह कर्त्तव्य परायण है। वह मुख्याध्यापक के कक्ष के बाहर स्टूल पर बैठता है। वह हर कार्य जो उसे बताया जाता करता है। वह निश्चित समय पर घण्टी बजाता है। वह मुख्याध्यापक की मेज़ पर पानी का गिलास भर के रखता है। विद्यालय के समय में उसके पास आराम करने का समय नहीं होता। सुबह जल्दी वह दफ्तर के फर्नीचर को और सभी कक्षाओं के डैस्कों इत्यादि को साफ करता है। वह मुख्याध्यापक की आदेश पुस्तिका पर सभी अध्यापकों के हस्ताक्षर लेता है।
वह सभी बाहर से आने वालों से स्कूल में आने का उनका अभिप्राय पूछता है। वह उनका मार्गदर्शन करके किसे मिलना है, बताता है। किसी को भी मुख्याध्यापक के कक्ष में जाने की आज्ञा नहीं है।
वह सब के साथ विनम्र रहता है। हमारे विद्यालय के विद्यार्थी उससे प्रेम करते हैं और उसका आदर करते हैं। यदि मुख्याध्यापक का चित्त अच्छा नहीं होता तो वह विद्यार्थियों को उनसे मिलने को मना कर देता है। यहाँ तक कि अध्यापक भी उसके अच्छे और मुस्कुराने के स्वभाव के कारण, उसे पसंद करते हैं। यदि कोई विद्यार्थी विद्यालय की कोई सम्पत्ति नष्ट करता है तो कई बार उसके साथ कठोरता से पेश आता है। वह विद्यालय के भवन एक कोने अपने छोटे से परिवार के साथ रहता है। वह विद्यालय बन्द होने के पश्चात भी ध्यान रखता है।
वह खिलाड़ियों की मदद करता है। वह उनके साथ कुछ खेल भी खेलता है। वह अध्यापकों का आदर करता है और वे भी बदले में उसको पसंद करते हैं और उसका आदर करते हैं। वह एक मेहनत करने वाला आदमी है। उसके लिए उसका कर्त्तव्य ही सुन्दरता है। यह उसके जीवन का भेद है।