Jadh se sinchne se vriksh hara hota hai, “जड़ से सींचने से वृक्ष हरा होता है” Hindi motivational moral story of “Swami Shradhanand” for students of Class 8, 9, 10, 12.
जड़ से सींचने से वृक्ष हरा होता है
Jadh se sinchne se vriksh hara hota hai
7 अप्रैल, 1894 के दिन आर्य मुसाफिर लेखराम करनाल की आर्य समाज में व्याख्यान के लिए पधारे। उनके पांव में एक फोड़ा हो गया था। चलने-फिरने में परेशानी होती थी। उन्होंने महात्मा मुंशी राम (स्वामी श्रद्धानन्द) से कहा, “कहीं कोई आर्य डाक्टर हो तो फोड़ा दिखाऊँ।” महात्मा मुन्शी राम ने कहा, “इलाज में आर्य-अनार्य नहीं देखा जाता।” आर्य पथिक लेखराम की आँखे लाल हो गईं और क्रोध में कहा, “खाक आर्य समाज है। एक डाक्टर को भी आर्य नहीं बना सके।” महात्मा मुन्शी राम ने हँसकर कहा, “जिस आर्य समाज का कोई डाक्टर सदस्य न हो तो क्या उसे आर्य समाज नहीं कहा जाये ?” पंडित जी ने कुछ गम्भीर होकर कहा, “जिस आर्य समाज में डाक्टरों, विद्यालय के अध्यापकों को आर्य नहीं बनाया, उसने क्या खाक काम किया। जड़ को सींचने से ही वृक्ष हरा होता है। “