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Rajputo ki Peeth thok deta, “राजपूतों की पीठ ठोक देता” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.
राजपूतों की पीठ ठोक देता
Rajputo ki Peeth thok deta
स्वामी दयानन्द प्रसंगवश अन्य मतमतान्तरों की आलोचना भी करते थे। एक दिन स्वामी जी इस्लाम पर बोले। पास बैठे फैजुल्ला को स्वामी जी की बात पसन्द नहीं आई और चिढ़कर बोला, “स्वामी जी, मुस्लिम राज्य होता तो वे आप को जीवित न छोड़ते। उस समय आप ऐसे व्याख्यान नहीं दे सकते थे।” स्वामी जी ने कहा, “मैं भी निठल्ला नहीं रहता। बेधड़क मन से दो-चार राजपूतों की पीठ ठोक देता। वे विरोधियों के छक्के छुड़ा देते। “