Hindi Moral Story, Essay “साईं सूँ सब होत है” “Sai su sab hot hai” of “Rao Jagatsingh” for students of Class 8, 9, 10, 12.
साईं सूँ सब होत है
Sai su sab hot hai
राव जगतसिंह जोधपुर के प्रथम महाराजा जसवंतसिंह के वंशज थे और रिश्ते में भक्तिमती मीराबाई के भतीजे लगते थे। बलूँदा रियासत के वे शासक भी थे। वे वैष्णव-भक्त थे और राजसी ठाट-बाट छोड़कर सदैव भगवद्भजन में लीन रहते थे। मेवाड़ में उन्होंने एक मंदिर का निर्माण भी किया था।
एक बार वर्षाकाल में एक दिन भारी वर्षा हुई। चारों ओर घना अंधकार छाया रहा और लोगों को सूर्य भगवान् के दर्शन दुर्लभ हो गए। लेकिन उस समय जोधपुर के अनेक नर-नारियों ने सूर्यदेवता का दर्शन किए बिना भोजन न करने का व्रत धारण कर रखा था। उन्हें जब सूर्यदेवता के शीघ्र उदय होने की उम्मीद न रही, तो वे चिंतित हो गए। आखिर कुछ लोग जोधपुर नरेश के पास गए और उनसे विनती की, “महाराज, हमारे लिए तो आप ही सूर्य हैं। यदि आप हाथी पर सवार हो सबको दर्शन दें तो लोग भोजन कर सकेंगे।” महाराज ने कहा, “बात तो ठीक है, मैं लोगों को दर्शन दूँगा, मगर मैंने भी यह व्रत धारण कर रखा है और मेरे लिए भी सूर्य भगवान् के दर्शन करना आवश्यक है। उनके उदित न होने से मैं किसके दर्शन करूँ?” अकस्मात् उन्हें राव जगतसिंहजी का ख्याल आया और वे उनके पास गए।
जगतसिंह उस समय श्री श्यामसुंदरजी की पूजा कर रहे थे। पूजा समाप्त होने पर जब नरेश ने अपने आने का प्रयोजन बताया, तो उन्हें बड़ा संकोच हुआ कि उन्हें सूर्यदेवता का-सा सम्मान दिया जाएगा। भगवान् की श्रेणी में अपनी गणना किया जाना उन्हें उचित न लगा। उन्होंने कोई जवाब न दिया ओर वे सूर्य भगवान् की लोगों को दर्शन देने के लिए कातर भाव से प्रार्थना करने लगे। भगवान् भुवनभास्कर ने उनकी प्रार्थना सुनी और बादलों को चीरकर वे प्रकट हो गए। उनके दर्शन से लोगों को हर्ष हुआ और उन्होंने अपने को कृतार्थ माना। जगतसिंजी की प्रार्थना का यह फल देख लोग चकित रह गए और उन्होंने उनका जय-जयकार किया।