Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Nelson Mandela” , ”नेल्सन मंडेला” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
नेल्सन मंडेला
Nelson Mandela
अफ्रीका : महान राष्ट्रवादी जननायक
नेल्सन मंडेला उन यग-परुषों में से एक हैं, जिन्हें विश्व में काफी ख्याति और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। दक्षिण अफ्रीका की मुक्ति के लिए उन्होंने जो संघर्ष छेड़ा है, उसे एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी।
73 वर्षीय मंडेला ने अपने जीवन के 28 वर्ष दक्षिण अफ्रीका की जेलों में गुजारे हैं। उन्हें इस अवधि में घोर अमानवीय यातनाएं सहनी पड़ीं, लेकिन वह अपने पथ से नहीं डिगे। हारकर सन् 1990 के प्रारंभ में जब गोरी सरकार ने उन्हें रिहा किया, तो सारे विश्व ने मंडेला को अपने सर आंखों पर ले लिया। अपनी रिहाई के बाद उन्होंने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के साथ अपने देश के अश्वेतों की आजादी के लिए रचनात्मक संघर्ष तेज कर दिया।
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को जोसा जनजाति में ट्रांस्की कस्बे में हुआ था। उनके पिता हेनरी थेम्ब कबीले के प्रधान थे। बचपन में मंडेला ने काले लोगों पर गोरों के अत्याचार देखे। तभी से उनमें राष्ट्रवाद की भावना पनपने लगी और वे अश्वेतों को नस्लभेदी गोरी सरकार से आजाद कराने के लिए छटपटाने लगे। 22 वर्ष की उम्र में वह जोहानसबर्ग आ गए। यहीं उनकी भेंट वाल्टर सिसलू से हुई। उन दिनों वह वकालत पास करने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच उनका विवाह एवेलिन नामक नर्स से हो गया।
पचास के दशक में मंडेला ने वाल्टर सिसलू और ओलिवर टैंबो के साथ निर्णायक संघर्ष छेड़ दिया, लेकिन अल्पसंख्यक गोरों की सरकार ने आन्दोलन का क्रूरता से दमन किया।। अगस्त, 1958 को मंडेला, सिसलू व अन्य नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा चला, जिससे उन्हें सन् 1961 में मुक्ति मिली। उन्हें दक्षिण अफ्रीका के बाहर जूलियस न्यरेरे, केनेथ काउंडा आदि का समर्थन , मिला। 5 अगस्त, 1962 को उन्हें पुन: गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। एवेलिन से तलाक लेकर मंडेला ने सन् 1958 में विनी मांडिकिजेला से विवाह किया, जिन्हें मंडेला के जेल जाते ही लंबे समय तक बड़ा कठिन जीवन जीना पड़ा।
सन् 1980 में भारत ने नेल्सन मंडेला को ‘नेहरू शांति पुरस्कार’ दिया। उन्हें पूर्वी जर्मनी ने ‘स्टार ऑफ इंटरनेशनल फ्रेंडशिप’ तथा वेनेजएला ने ‘साइमन बोलिवर एवॉर्ड’ से सम्मानित किया। ‘सखारोव एवॉर्ड’, ‘मानवाधिकार पुरस्कार’ आदि भी उन्हें प्रदान किए गए। सन् 1990 में उन्हें भारत सरकार ने ‘भारत-रत्न’ से विभषित किया। आज मंडेला नस्लभेद और शोषण के खिलाफ मानव के संघर्ष का प्रतीक बन गए हैं।