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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Margaret Thatcher” , ”मार्गरेट थैचर” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मार्गरेट थैचर

Margaret Thatcher

 

ब्रिटिश : ‘आयुरन लेडी’

 

ब्रिटिश इतिहास की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थैचर कई कारणों से विख्यात हैं। उन्हें अपने दृढ़ राजनैतिक चरित्र के कारण ‘आयुरन लेडी’ (लौह महिला) माना जाता है। अपने एक दशक के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्होंने स्वयूँ को यूरोप की राजनीति में अग्रणी ही पाया है। यह और बात है कि उनके अधिकांश कार्य सराहनीय कभी नहीं रहे। दक्षिण अफ्रीका की अश्वेत आबादी पर जुल्म ढाने वाली गोरी सरकार को सहायता देकर वह अंतरराष्ट्रीय भर्त्सना का पात्र बनीं। विश्व मंच पर उन्हें अमरीका का पिट्ठ कहा गया, लेकिन ब्रिटेन की इस गिरती हुइ साख की चिंता न करते हुए उन्होंने अपने अनदारवादी रवैये पर कोई प्रभाव नहीं पडने दिया।

मारिट हिल्डा थैचर का जन्म सन् 1925 में ग्रांटहेम.लिंकनशायर (इंग्लैंड) के एक व्यवसायी परिवार में हुआ था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक होने के बाद उन्होंने रसायन शास्त्र में शोध कार्य किया। सन् 1951 में उन्होंने डेनिस थैचर से विवाह किया। बाद में उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त की और फिर राजनीति में आ गई। उन्होंने टोरी पार्टी को अपनाया। वह शिक्षा सचिव के पद पर भी रहीं। सन् 1979 में जेम्स कैलहन के शासन् की समाप्ति और थैचर का उदय यूरोप की प्रमुख घटनाएं थीं।

सन् 1979 में थैचर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री चुनी गई। इस पद पर वह नौवे दशक के अंत तक विराजमान रहीं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर थैचर चर्चित अवश्य हैं, किन्त लोकप्रिय कदापि नहीं। युरोपी पत्रिकाएं उनके सुंदर होंठों को तो ब्रिटेन में सर्वश्रेष्ठ मान लेती हैं, परंत साथ ही उनके अलोकप्रिय होने के सर्वेक्षण भी प्रस्तुत कर देती हैं। सन् 1981 में बेलफास्ट में आयुरिश रिपब्लिकन आर्मी के कई सदस्य भूख हड़ताल करते हुए शहीद हो गए। तब थैचर जरा भी विचलित नहीं हुई। इसी वर्ष फाकलैंड के युद्ध के समय वह बी.बी.सी. से उलझ पड़ी थीं। थैचर के समय में भारत-ब्रिटेन संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे। सन् 1985 तक वहां भारत विरोधी गतिविधियां पोषित होती रहीं। सन् 1985-89 तक अवश्य इनमें कुछ कमी आई।

एक अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक चरित्र के रूप में थैचर अफ्रीकी-एशियाई-लैटिन-अमरीका तथा कई अन्य विकासशील देशों में अपने अनुदार, अमरीका-परस्त तथा आभिजात्य मानसिकता के कारण पसंद नहीं की जाती हैं।

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