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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Christmas – Ekta Ka Tyohar”, “क्रिसमस – एकता का त्यौहार” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

क्रिसमसएकता का त्यौहार

Christmas – Ekta Ka Tyohar

 

भारतवर्ष एक बड़ा विशाल देश है। इस देश में अनेक जातियों एवं धर्मों के लोग निवास करते हैं। धर्मों के अनुसार यहाँ पर्व एवं त्यौहार मनाए जाते हैं। क्रिसमस ईसाइयों का त्यौहार है। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं। ईसाई धर्म का मार्गदर्शन महात्मा ईसा मसीह ने किया था।

महात्मा ईसा का जन्म 25 दिसंबर को येरुशलम के पास बेतलहम गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम मरियम एवं पिता का नाम यूसुफ था। जन्म के समय से ही लोगों ने ईसा मसीह की पूजा आरंभ कर दी थी। जिस कारण वहाँ के राजा हैरोदस बहुत क्रोधित हुए। उसने बालक ईसा को मारने का आदेश दे दिया। ईसा के मातापिता को किसी तरह इस बात का पता चल गया। जिस कारण वे अपने पुत्र को चुपचाप लेकर मिस्त्र चले गए। वहीं पर उनका लालन-पालन हुआ। वहीं पर उन्होंने अपने पिता से बढ़ाई का काम भी सीखा। कहा जाता है कि उन्हें 31 वें वर्ष में ईश्वरीय प्रेरणा प्राप्त हुई। फिर क्या था वे संत मार्ग को स्वीकार कर प्रभु की तपस्या में लीन हो गए। 40 दिनों की अखण्ड तपस्या में वे उपवास रह कर करे थे। फिर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।

ईसा मसीह ने अपने संदेश में कहा था- मनुष्य को नम्रता, पवित्रता, शांति, प्यार, भलाई, गुप्त दान एवं क्षमा का धर्म अपनाना चाहिए। उनके अधिकाधिक शिष्य भी बन गए।

उनकी बढ़ती हुई प्रसिद्धि के कारण यहूदी धर्म-गुरु उनके शत्रु बन गए। पर ईसा मसीह बेपरवाह हो अपने कार्य में लगे रहे। वे अपने वचनुसार सदैव दूसरों की भलाई करते रहे। जैसा अक्सर हर महापुरुष के साथ होता है उन्हें भी उनके एक शिष्य ने धोखा दे, उनके साथ विश्वासघात कर उन्हें बंदी बना लिया।

यहूदियों संग मिलकर उन्हें क्रूस पर लटकाकर सजा दी गई। क्रूस पर उन्हें अत्यंत वेदना दी गई थी पर ईसा मसीह ने प्रभु से माँगा कि – हे प्रभु! इन्हें क्षमा करना। ये नहीं जानते ये क्या कर रहे हैं। फिर वहीं पर कूस में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस मनाने का मुख्य कारण ईसा मसीह द्वारा जो ईसाई धर्म का प्रचार किया गया, चलाया गया। इसलिए ही उन्हें याद कर उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को यह पर्व मनाया जाने लगा।

हर त्यौहार कि भांति क्रिसमस की तैयारियाँ एक माह पूर्व से की जाती है। ईसाई लोग नए वस्त्र बनाते हैं। क्रिसमस के कार्ड खरीदते हैं। बच्चों एवं मित्रों के लिए उपहार लाते हैं।

इस शुभ अवसर पर ईसाई लोग अपने ईसा को याद करते हैं। ठीक रात को बारह बजे के बाद बच्चों एवं युवकों की विभिन्न टोलियाँ रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाकर क्रिसमस की बधाई देती हैं।

इस दिन के विभिन्न आकर्षणों में से एक है एक्स-मास ट्री, जिसे लोग विभिन्न प्रकार से सजाते हैं। घर घर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

हम क्रिसमस की बात करें और सेंताक्रुज को भूल जाए ऐसा कैसे संभव हो सकता है। इस पवित्र दिन सेंताक्रुज सभी बड़ों-बच्चों के लिए विभिन्न उपहार और हर किसी के लिए खुशियों की सौगात लाता है साथ ही ईसा के जन्मअध्ययन का संदेश जन जन तक पहुँचाता है। हर धर्म के लोग इसे बड़े उत्साह के साथ मानते भी हैं। लोग आपस में मिलते भी हैं और अपनी अपनी शुभकामनाएँ भी देते हैं।

दिन के शुरुआत में लोग गिरजाघरों में जाकर प्रभु ईशु की प्रार्थना करते हैं। धर्मगुरु इस दिन ईसा के उपदेशों की व्याख्याएँ लोगों को सुनाते हैं, साथ ही मिलजुल कर साथ-साथ रहने की शिक्षा देते हैं।

गरीबों में अन्न, धन एवं वस्त्र आदि का दान अपनी स्वेच्छानुसार करते हैं।

क्रिसमस के दिन हर ईसाई घर से हमें यह गीत (प्रार्थना) जरूर सुनने को | मिलते है –

जिंगलबैरी जिंगलबैरी, जिंगल ऑन दी वे…

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