Hindi Essay/Paragraph/Speech on “हीगल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
हीगल
जर्मनी : उग्र-आदर्शवादी विचारों का दार्शनिक
जन्म : 1770 मृत्यु : 1831
जॉर्ज विलहेल्म फ्रेडरिख का जन्म सन् 1770 में स्टटगर्ट (जर्मनी) के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद बर्न (स्विट्जरलैंड) के जीना विश्वविद्यालय में कार्य किया। सन् 1831 में उनका देहांत हुआ।
हीगल की गणना प्लूटो, रूसो, मार्क्स जैसे महान दार्शनिकों में की जाती है। वह राजनीतिशास्त्र में ‘आदर्शवाद’ के प्रमुख प्रतिनिधि विचारक थे। संक्षिप्त में उनके विचार इस प्रकार हैं :
राज्य-हीगल राज्य को ईश्वर की देन मानते थे, जिसके अंतर्गत सामान्य व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं बनी रह सकती हैं। अतः व्यक्ति को राज्य के प्रत्येक आदेश का पालन करना चाहिए।
शासन्-हीगल के विचार वैधानिक शासन् का समर्थन करते हैं। वह शासन् के विकेंद्रीकरण का विरोध, किंतु सैन्यीकरण का समर्थन करते थे। वह शासन् को ही संप्रभुता सौंपने के पक्षधर थे।
युद्ध-हीगल ने युद्ध को राज्य के लिए आवश्यक माना है, क्योंकि इससे विलासी व स्वार्थी तत्त्वों का नाश होता है। साथ ही, राज्य की क्षमता भी प्रदर्शित हो जाती है।
कानून-वह अपराधी को उचित दंड दिए जाने के पक्षधर रहे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का विरोध किया।
सविधान–हीगल संवैधानिक राजतंत्र के पक्षधर थे। उनके अनुसार राजतंत्र में कार्यपालिका, न्यायपालिका व विधायिका पर राज्य का प्रभुत्व होना चाहिए।
द्वंद्ववाद- दो प्रचलित विचारधाराओं के आपसी टकराव से उत्पन्न नई विचारधारा को हीगल ने ‘द्वंद्ववाद’ का नाम दिया। इन तीनों धाराओं को उन्होंने क्रमशः ‘थीसिस’, ‘एंटीथीसिस’ तथा ‘सिंथेसिस’ के नाम दिए। उनके मतानुसार ‘संवैधानिक राजतंत्र’ का जन्म ‘जनतंत्र’ व ‘निरंकुशतंत्र’ के द्वंद्व से ही होता है।
हीगल के विचारों को ‘उग्र आदर्शवादी’ माना जाता है, क्योंकि आगे चलकर उनका दर्शन नाजीवाद एवं फासीवाद का प्रेरक बना, लेकिन यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि उनके उग्र विचार टुकड़ों-टुकड़ों में बंटे जर्मन राज्यों की तत्कालीन आवश्यकता थे। जार्ज विलहेल्म फ्रेडरिक हीगल के सिद्धांत प्रतिक्रियावादी सामाजिक-राजनीतिक अवधारणा का प्रतिपादन करते हैं।