Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Dakiya”, “डाकिया” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
डाकिया
Dakiya
प्रवेश-दोपहर के समय रोजाना सड़क पर नजर गड़ाए जिस व्यक्ति का बेसब्री से हम सब इंतज़ार करते हैं, वह डाकिया है। मुस्कुराता हुआ वह हम सबके सामने से गुजरता है। कोई चिट्ठी-पत्री हमारे नाम न हो, पर उसकी रोज की हाजिरी उसे परिवारिक बना डालती है।
परिचय-डाकिया भारत सरकार के डाकतार विभाग का एक छोटा किंतु जवाबदेह कर्मचारी है। साधारण खाकी वर्दी और गले में थैला उसकी वेशभूषा है। बाँटने वाली चिट्ठियाँ बाएँ हाथ में होती हैं और रजिस्ट्री आदि के पैकेट उसके थैले में। वह चिट्ठियों के अलावा हमारे रिश्तेदारों तथा परिवार के लोगों द्वारा भेजे गए धन, वस्तुओं, उपहारों आदि को भी हम तक पहुंचाता है।
पद्धति-ये चीजें हवाई जहाज या रेलगाड़ी या बस से सफर करती हुई मुख्य डाकखाने में आती हैं। वहाँ से क्षेत्र के अनुसार छोटे डाकखानों में भेजी जाती हैं। यहाँ से डाकिए उन्हें लेकर अपने-अपने क्षेत्र में बाँटने जाते हैं। डाकिया उस क्षेत्र से परिचित होता है और डाक घर-घर पहुँचाकर वह सबकी सेवा करता है। वह हमारे लिए साधारण पत्र, रजिस्टर्ड पत्र, दूर-दराज संबंधियों और परिचितों के कुशल समाचार हम तक पहुँचाता है। वह पार्सल एवं पैकेट के रूप में ज़रूरी सामान भी हम तक पहुँचाता है।
सेवा भावना-डाकिया एक वेतनभोगी सरकारी कर्मचारी होते हुए भी सच्चा जनसेवक है। उसके लिए धूप, कँपकँपाती जाड़े की हवा, मूसलधार वर्षा बाधक नहीं होते। सबको झेलते हुए वह कर्तव्य-पालन करता है।
एक-एक डाकिए के पास कभी-कभी मनीऑर्डर के ढेर सारे रुपये होते हैं। लुटेरे आदि किसी स्थान पर उसे लूट सकते हैं। यह अपनी जान हथेली पर रखकर हमारी सेवा करता है। जनसेवा का इससे बड़ा दूसरा क्या प्रमाण हो सकता है। जनता की सेवा करते हुए भी उसे बहुत कम वेतन मिलता है तथा वह गरीबी और कष्टों में जीवन बिताता है।