Hindi Essay, Paragraph on “F.M Radio Kranti”, “एम.एम. रेडियो क्रांति” 700 words Complete Essay for Students of Class 10,12 and Competitive Examination.
एम.एम. रेडियो क्रांति
F.M Radio Kranti
निबंध संख्या :- 01
एफ.एम. रेडियो अब मीडियम वेव के स्थान पर काम करेगा। सरकार ने उदारीकरण और सुधारों की नीति के अनुरूप लाइसेंस शुल्क आधार पर पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो केंद्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान करने दी हैं। इससे अब जल्दी ही एक जिले के निवासी अपने ही बच्चों की आवाजें वायु तरंगों पर सुन सकेंगे। उनकी अपनी बोली, मूल्य प्रणाली तथा सांस्कृतिक परंपराएं रेडियो को सच्चे अर्थों में स्थानीय तेवर प्रदान कर पाएंगी। समय सीमा की वजह से अब रेडियो तरंगों से स्थानीतय सामग्री और संदर्भ वाले कार्यक्रमों को हराया नहीं जा सकेगा।
निजी एफ.एम. रेडियो स्टेशनों के दूसरे चरण की सरकार की नीति लागू होते ही एफ.एम. रेडियो की सच्चाई सामने आ जाएगी। इस नीति को 30 जून, 2005 में मंत्रिपरिषद् द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय इसे क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में है। नौवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार का रेडियो के विषय में नीतिगत लक्ष्य विषय-वस्तु की विविधता तथा तकनीकी गुणवता बढ़ाना था। मई 2005 में सरकार ने देश के 40 नगरों में एफ.एम. की 40 फ्रिक्वेंसियां की खुली बोली द्वारा नीलामी की। सरकार द्वारा निजी भागीदारी के लिए फ्रिक्वेंसियों को खोलने के मुख्य अभिप्रेत थे-एफ.एम. रेडियो ने वर्ग का विस्तार, उच्च गुणवत्ता वाले रेडियो कार्यक्रम उपलब्ध कराना, स्थानीय प्रतिभा को प्रोत्साहन देना तथा रोजगार बढ़ाना और आकाशवाणी की सेवाओं की सहायता करना एवं भारतवासियों के लाभार्थ देश में प्रसारण नेट के विस्तार को बढ़ावा देना।
जुलाई 2003 में सरकार ने एफ.एम. रेडियो प्रसारण के उदारीकरण के दूसरे चरण के लिए अमित मिश्रा की अध्यक्षता में रेडियो प्रसारण नीति सीमित का गठन किया। इस सीमित ने पहले चरण से हासिल सीधे, दूरसंचार क्षेत्र से संबद्ध अनुभवों तथा वैश्विक अनुभवों का अध्ययन करने के उपरांत कई सुझाव दिए। इसमें प्राथमिक रूप से प्रस्तर क्षेत्र में प्रवेश करने और छोड़ने की प्रविधि, लाइसेंस शुल्क की संरचना, सेवाओं का क्षेत्र बढ़ाने और मौजूदा लाइसेंसधारियों के दूसरे चरण में जाने की विधि-संबंधी अनुशंसाएं शामिल हैं।
आज दुनिया भर में रेडियो प्रसारणों, का पंसदीदा माध्यम एफ.एम. ही है। इसकी वजह इसकी उच्च गुणवत्ता वाली स्टीरियोफेनिक आवाज है। इसलिए दसवीं योजना में मीडियम वेव प्रसारण नेटवर्क को, जिसकी पहुंच 98 प्रतिशत आबादी तक हैं, समन्वित करने के साथ-साथ एफ.एम. की कवरेज देश की आबादी के 30 प्रतिशत तक था। यह सारा कवरेज अब तक आकाशवाणी द्वारा किया जा रहा था। इसे दो गुना कर 60 प्रतिशत आबादी को एफ.एम. प्रसारण की कवरेज के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए निजी भागीदारों को प्रोत्साहित करने तथा लाइसेंस की नीलामी कि मौजूदा-प्रणाली के स्थान पर राजस्व बांटने की प्रविधि लाने पर जोर दिया गया।
अन्य प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार रखे गए-
20 कि.वा. तक की क्षमता वाले सभी एफ.एम. एवं मीडियम वेव ट्रांसमीटरों को स्वचालित बनाना। सिक्किम सहित सभी पूर्वोत्तर राज्यों तथा द्वीपसमूहों में रेडियो की पहुंच का विस्तार और उसे मजबूती देना तथा एफ.एम. के बेहतर प्रसारण और साफ आवाज के कारण उसका उपयोग साक्षरता के प्रसार के लिए करना। पहले चरण में 40 शहरों के 105 फ्रिक्वेंसियों के लिए सरकार को 101 बोलियां प्राप्त हईं जिससे 425 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
दूसरे चरण में पहले भाग में फ्रिक्वेंसियां शामिल की गई, जो पहले चरण में चालू नहीं हो पाई थी।
दूसरे भाग में नगरों की फ्रिक्वेंसियों को शामिल किया गया जिन्हें अब तक कवर नहीं किया जा सका था।
नयी नीति के तहत देश के 90 नगरों में 536 अतिरिक्त निजी एफ.एम. रेडियो चैनल उपलब्ध होंगे। इन नगरों को क, ख, ग, घ वर्गों में रखा गया। इसके अतिरिक्त इव्न के 36 आंख 51 चैनल को शैक्षिक उद्देश्यों के लिए रखा गया। लेकिन समाचार प्रसारण एफ.एम. रेडियो के दायरे से बाहर बना रहेगा। पूर्वोत्तर के आठ शहरों को इसके तहत कवर किया जाएगा। इसमें 40 चैनल होंगे जिनमें 32 चैनल निजी प्रचालकों द्वारा संचालित किए जाएंगे तथा 8 शैक्षिक उद्देश्य के लिए समर्पित होंगे।
नवीन नीति के प्रावधानों के अंतर्गत इस बात का ख्याल रखा गया है कि कोई एक बड़ा समूह वायु तरंगों पर एकाधिकार न कर ले। कोई भी समूह एक नगर में एक से अधिक एफ.एम. रेडियो स्टेशनों का स्वामित्व नहीं हासिल कर सकता। एक समूह के देश के कुल वायु तरंगों के 15 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व हासिल करने की अनुमति नहीं होगी।
कुछ लोगों को आशंका है कि नये निजी चैनल आकाशवाणी के साथ स्पर्धा करेंगे तथा उसके राजस्व का एक हिस्सा ले लेंगे। लेकिन इससे श्रोताओं को बेहतर गुणवत्ता वाले कार्यक्रम मिल जाएंगे। वित्तीय हानि यदि हुई भी तो समय के साथ-साथ उसकी भरपाई कर ली जाएगी।
इससे स्थानीय प्रतिभा के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इन दिशानिर्देशों के साथ सरकार ने देश में एफ.एम. रेडियो का विकास का वातावरण तैयार करने में गंभीर प्रयास किया।
निबंध संख्या :- 02
एफ एम रेडियो क्रांति
केन्द्र सरकार की रेडियो नीति के तहत अब रेडियो से हम स्थानीय कलाकारों की अवश्य आवाज सुन सकेंगे। किसी जिले के निवासी अपने ही बच्चों की आवाज रेडियो के माध्यम से सुनने लगेगें। अब रेडियो में स्थानीय सामग्री और स्थानीय संदर्भों का अभाव नहीं होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि अब रेडियो से मीडियम वेव हट जायेगा और उसके स्थान पर एफ.एम. (फ्रिक्वेंशी मोड्यूलेटेड) पर विशेष जोर दिया जायेगा ।
उदारीकरण और सुधारों की नीति के अनुरूप सरकार ने लाइसेंस शुल्क आधार पर पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाले एम.एम. रेडियो केन्द्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान कर दी है। मई 2005 में सरकार ने देश के 40 नगरों में एफ. एम. की 40 फ्रिक्वेंसियों की खुली बोली के द्वारा नीलामी की। सरकार द्वारा निजी भागीदारी के लिए फ्रिक्वेंसियों को खोलने के मुख्य अभिप्रेत थे, एफ.एम. रेडियो नेटवर्क का विस्तार, उच्च गुणवत्ता वाले रेडियो कार्यक्रम उपलब्ध कराना, स्थानीय प्रतिभा को प्रोत्साहन देना तथा रोजगार बढ़ाना और आकाशवाणी की सेवाओं की सहायता करना एवं भारतवासियों के लाभार्थ देश में प्रसारण नेटवर्क के त्वरित विस्तार को बढ़ावा देना।
निजी एम.एम. (फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेटेड) रेडियो स्टेशनों के दूसरे चरण में सरकार की नीति लागू होते ही यह सच्चाई में बदलने वाली है। इस नीति को 30 जनू 2005 को मंत्रिपरिषद स्वीकृति प्रदान कर चुकी है और सूचना और प्रसारण मंत्रालय इसे क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में है। नौवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार को रेडियो के बारे में नीतिगत लक्ष्य, विषय वस्तु की विविधता तथा तकनीकी गुणवत्ता को बढ़ाना था। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर जुलाई, 2005 में सरकार ने एफ.एम. प्रसारण के उदारीकरण के दूसरे चरण के लिए अमित मित्रा की अध्यक्षता में ‘रेडियो प्रसारण नीति समिति’ का गठन किया। इस समिति ने पहले चरण से हासिल सीखों, दूर संचार क्षेत्र के सम्बद्ध अनुभवों तथा वैश्विक अनुभवों का अध्ययन करने के उपरांत कई सुझाव दिये। इनमें प्राथमिक रूप से प्रसारण क्षेत्र में प्रवेश करने और छोड़ने की प्रक्रिया, लाइसेंस शुल्क की संरचना, सेवाओं का क्षेत्र बढ़ाने और मौजूदा लाइसेंस धारियों के दूसरे चरण में जाने की विधि सम्बन्धी अनुशंसाएं शामिल हैं।
ज्ञातव्य है कि दुनियाभर में रेडियो प्रसारणों का पसंदीदा माध्यम एफ.एम. है। इसकी वजह, इसकी गुणवत्ता वाली स्टीरियो फॉनिक आवाज है। इसलिए दसवीं योजना में मीडियम वेव प्रसारण नेटवर्क को, जिसकी पहुँच 90 प्रतिशत आबादी तक है, समन्वित करने के साथ-साथ एफ.एम. प्रसारण को कवरेज के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने तथा लाइसेंस पर राजस्व बांटने की प्रविधि अपनाने पर जोर दिया गया। अन्य मुख्य क्षेत्र इस प्रकार रखे गये-
20 कि.वा. तक की क्षमता वाले सभी एफ. एम. एवं मीडियम वेव ट्रांसमीटरों को स्वचालित बनाना, सिक्किम सहित सभी पूर्वोत्तर राज्यों तक तथा द्वीप समूहों में रेडियो की पहुँच का विस्तार और उसे मजबूती देना तथा एफ.एम. के बेहतर प्रसारण और साफ आवाज के कारण उसका उपयोग साक्षरता के प्रसार के लिए बोलियां प्राप्त करना। सरकार को 40 शहरों के लिए 108 फ्रिक्वेंसियों के लिए कुल 101। इसमें 79.65 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व के स्थान पर कुल 425 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। लेकिन इसमें से वस्तुतः 158.8 करोड़ रुपये ही जमा हो पाए। जो 37 फ्रिक्वेंसियों के लिए प्राप्त हुए थे। इसके पहले भाग में फ्रिक्वेंसियां शामिल होंगी जिन्हें पहले चरण में प्रस्तावित किया गया था लेकिन चालू नहीं हो पाईं थीं। दूसरे चरण में नए नगरों के फ्रिक्वेंसियों को शामिल किया गया है जिन्हें अब तक कवर नहीं किया जा सका था।
नई नीति के तहत देश के 90 नगरों में 336 अतिरिक्त निजी एफ.एम. रेडियो चैनल उपलब्ध होंगे। इन नगरों को क- क, ख, ग और घ वर्गों में रखा गया है। इनके अतिरिक्त इग्नू के 36 चैनल तथा 51 अन्य चैनलों को भी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए रखा गया है। लेकिन समाचार प्रसारण एफ.एम. रेडियो के दायरे से बाहर बना रहेगा। पूर्वोत्तर के आठ शहरों को इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगां इसमें 40 चैनल होंगे जिनमें से 32 चैनल निजी प्रचारकों द्वारा संचालित किये जाएंगे तथा आठ शैक्षिक उद्देश्यों को समर्पित होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए नी चैनलों की योजना बनाई गई है। ये सभी चैनल श्रीनगर तथा जम्मू में स्थित होंगे।
नवीन नीति के प्रावधानों के अंतर्गत इस बात का ख्याल रखा गया है कि कोई एक बड़ा समूह वायु तरंगों पर एकाधिकार न कर ले। कोई भी समूह एक नगर में एक से अधिक एफ.एम. रेडियो स्टेशनों का स्वामित्व नहीं हासिल कर सकता। एक समूह को देश के कुल वायु तरंगों के 15 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व हासिल करने की अनुमति नहीं होगी।
ग और घ वर्ग में आने वाले छोटे शहरों में अधिकाधिक प्रचारकों को आकर्षित करने के मकसद से यहाँ कार्यरत प्रचालकों को अपने कार्यक्रम की नेटवर्किंग करने की अनुमति होगी। वे उच्च वर्ग के शहरों में स्थित रेडियो स्टेशनों पर अपना विज्ञापन दे सकेंगे तथा उनके कार्यक्रमों का उपयोग कर सकेंगे। शैक्षिक महत्त्व की सामग्री का सही-सही निर्धारण कठिन होने के बावजूद उम्मीद है कि इग्नू के 36 चैनलों सहित कुल 87 चैनल शैक्षिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रसारण करेंगे। वे निचले स्तर पर अनौपचारिक तथा औपचारिक शिक्षा के प्रसार में अपना योगदान देंगे।
कुछ लोगों को आशंका है कि नए निजी चैनल आकाशवाणी के साथ स्पर्धा करेंगे तथा उसके राजस्व का एक हिस्सा ले जाएंगे। लेकिन इससे श्रोताओं को बेहतर गुणवत्ता वाले कार्यक्रम मिल पाएंगे। वित्तीय हानि यदि हुई भी तो समय के साथ-साथ उसकी भरपाई कर ली जाएगी। इससे स्थानीय प्रतिभा के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
इन दिशा-निर्देशों के साथ सरकार ने देश में एफ.एम. रेडियो के विकास का वातावरण तैयार करने का गंभीर प्रयास किया है। समय के साथ-साथ इसके वास्तविक विकास का स्वरूप निजी उद्यम पर निर्भर करेगा।