Hindi Essay-Paragraph on “Bharat mein Jansankhya Niyantran” भारत में जनसंख्या नियंत्रण” 600 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
भारत में जनसंख्या नियंत्रण
Bharat mein Jansankhya Niyantran
भारत में राष्ट्रीय स्तर की अनेक समस्याएं हैं, जिनका जन्म राष्ट्र के भीतर की कुव्यवस्थाओं के कारण हुआ है। लेकिन उन कई समस्याओं में सबसे बड़ी गंभीर और खतरनाक समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या ही है। जनसंख्या के मामले में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या कोढ़ है तो उसमें शरणार्थियों की समस्या खाज है।
जनसंख्या नियंत्रण या परिवार-नियोजन का अर्थ होता है-बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण पाना। किसी भी राष्ट्र के लिए जन-समुदाय का होना अत्यंत आवश्यक है। जनसंख्या विहीन हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्त्व मिट जाता है, तो जनसंख्या के बेकाबू हो जाने पर भी राष्ट्र का अस्तित्त्व खतरे में पड़ जाता है। जनसंख्या के बिना राष्ट्र की वैसे ही कल्पना नहीं की जा सकती है, जैसे पानी के बिना नदी की।
अब प्रश्न उठता है कि किसी राष्ट्र के लिए कितनी जनसंख्या होनी चाहिए। इस समस्या का समाधान करते हुए सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार है कि “जनसंख्या किसी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन संपन्नता राज्य के पास हो। जनसंख्या किसी भी देश के लिए वरदान होती है, परंतु जब अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब वही अभिशाप बन जाती है।”
वर्तमान में भारत के सामने जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। भारत की जनसंख्या एक अरब से ऊपर हो चुकी है। अगर इस स्थिति में जनसंख्या बढ़ती रही तो भारत के लोगों को रहने के लिए भी जगह उपलब्ध नहीं हो पाएगी।
विशाल जनसंख्या के कारण हमारे देश को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। अत्यधिक वृद्धि हमारी आर्थिक-प्रगति को रोक देता है। बेरोजगारी की समस्या आग की तरह फैल जाएगी। जन सघनता से कृषि भूमि घटती जा रही है। उद्योग-धंधों में अधिक मजदूर होने से उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है। इन सबके साथ मनुष्य को मूलभूत सुविधाएं भी वंचित कर देगी।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है-अशिक्षा, अंधविश्वास, संयुक्त परिवार, भौगोलिक स्थिति, भाग्यवादी दृष्टिकोण।
वर्तमान समय में इस समस्या का समाधान अत्यंत आवश्यक हो गया है। नहीं तो, विकास कार्यक्रमों के सारे लाभ जनसंख्या-विस्फोट रूपी सुरसा निगल लेगी। अतः जनता और सरकार दोनों को इस समस्या से लड़ना होगा। इस दिशा में सरकार का प्रयास जारी है। शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है। बाल-विवाह और बहुविवाह पर कानूनी पाबंदी लगाई गई है। परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
परिवार नियोजन के मूल वाक्य इस प्रकार है-
एक या दो बच्चे, होते हैं अच्छे।
हम दो, हमारे दो।
कम संतान, सुखी इंसान।
इन सभी उपायों से सरकार को आंशिक सफलता मिलती है, लेकिन आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि लोग इस कार्यक्रम में स्वेच्छा से जुड़े लोगों को अपने जेहन में इस बात को बिठा लेना चाहिए कि छोटा परिवार सुख का आधार होता है। अतः हमें सदा ध्यान रखना चाहिए-
यदि हम चाहते हैं शुद्ध हवा, पानी और भोजन,
मार्ग एक ही है, हम सब अपनाएं परिवार नियोजन।