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Hindi Essay on “Swatantrata Diwas Samaroh”, “स्वतन्त्रता दिवस समारोह” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

स्वतन्त्रता दिवस समारोह

Swatantrata Diwas Samaroh

 

15 अगस्त 1947 के दिन भारतमाता विदेशी गुलामी से मुक्त हुई थी। देश के अनगिनत सपूतों ने स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया। अनेकों ने प्राणों की आहुतियां दी और असहनीय पीड़ाएँ झेली, जेलें काटीं। आखिर उनका त्याग और तप सफल हुआ। राष्ट्रीय स्वतंत्रता की इस गौरवमयी स्मृति को सजीव बनाए रखने के लिए 15 अगस्त का दिन सारे देश में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुख्य समारोह दिल्ली में सम्पन्न होता है। दिल्ली के अतिरिक्त भारत भर में यह समारोह मनाया जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है।

14 अगस्त 1947 की रात को जब 15 अगस्त आरम्भ हो रहा था, पंडित नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहरा कर स्वतन्त्रता का अभिनन्दन किया था। गुलामी का प्रतीक यूनियन जैक इस देश से विदा हो गया था। वह रात मानों हमारे लिए रात नहीं किन्तु नव-जागरण का नया सवेरा था। अब भी हर वर्ष 15 अगस्त की सुबह को लाल किले के सामने का मैदान असंख्य जनसमूह से भरा होता है। तीनों सेनाओं की टुकड़ियां, स्कूलों और कालिजों के बच्चे-बच्चियां, दिल्ली की जनता और बाहर से आए हुए लोगों की अपार भीड़ मैदान में एकत्र होती है। राजदूतों, मंत्रियों, उच्चाधिकारियों और विशिष्ठ नेताओं के बैठने के लिए अलग व्यवस्था की जाती है।

प्रधानमंत्री निश्चित समय पर पहुंच कर लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं। उस समय राष्ट्रध्वज को 31 तोपों की सलामी दी जाती है। फिर प्रधानमंत्री का भाषण होता है। यह भाषण महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें वार्षिक कार्यक्रम और सरकारी नीतियों के स्पष्टीकरण के साथ-साथ जनता को भी राष्ट्र निर्माण के लिए विशेष संदेश दिया जाता है। विदेशों के राजदूत राष्ट्रपति भवन में उन्हें बधाई देने और अपने देशों की ओर से शुभकामनाएँ अर्पित करने के लिए आते हैं। राष्ट्रपति भवन में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। लाल किले का सारा कार्यक्रम रेडियो और टेलीविज़न द्वारा प्रसारित किया जाता है।

प्रत्येक नगर में मुंह अँधेरे प्रभातफेरियां निकाली जाती हैं। रामधुन, उठ जागमुसाफिर भोर भई या कोई अन्य देश प्रेम का गीत गाते हुए लोग जनता को स्वतंत्रता दिवस के अभिनन्दन के लिए जगाते हैं। सभी लोग दिल्ली का कार्यक्रम रेडियो से सुनने या टेलीविज़न पर देखने के लिए उतावले होते हैं। उसके पश्चात् हर नगर में किसी या टेलीविज़न पर देखने के लिए उतावले होते हैं। उसके पश्चात् हर नगर में किसी न किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा राष्ट्रध्वज फहराने का आयोजन होता है। पुलिस द्वारा सलामी दी जाती है। स्कूलों और कालिजों के बच्चों की प्रतियोगिताएँ होती हैं। देश के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलियां अर्पित की जाती हैं। जनसम्पर्क विभाग द्वारा तथा अन्य लोगों द्वारा संगीत सम्मेलन एवं कवि सम्मेलन आदि करवाए जाते हैं। सत्तारूढ दल के अतिरिक्त दूसरे दल भी स्वतंत्रता दिवस का समारोह मनाते हैं। जगह-जगह राष्ट्रध्वज फहराया जाता है। इस दिन सामान्य निवास स्थानों और दुकानों आदि पर भी तिरंगे फहराये जाते हैं। निर्धन लोगों के लिए लंगर लगाए जाते हैं और बच्चों में फल एवं मिठाईयां आदि बांटे जाते हैं।

संध्या के समय विभिन्न दलों की ओर से बड़ी-बड़ी सभाओं का आयोजन किया जाता है। सत्तारूढ़ दल अपने कार्यक्रम की सफलता और विरोधी दल प्रायः उसकी असफलता एवं त्रुटियों पर प्रकाश डालते हैं किन्तु शहीदों के प्रति सभी सम्मानभाव से श्रद्धा के भाव अभिव्यक्त करते हैं। रात्रि के समय अनेक सरकारी और गैरसरकारी भवनों पर दीपमाला की भी व्यवस्था की जाती है।

अत्यन्त खेद का विषय है कि गांवों में इस समारोह का कोई चिन्ह या उत्साह नहीं पाया जाता। वास्तविक भारत तो गाँवों में ही रहता है। जब तक वहां की जनता स्वतंत्रता के महत्त्व को नहीं समझती तब तक इस समारोह का सच्चा रूप देखने को नहीं मिल सकता। महंगाई आदि के कारण नगरों की जनता में भी विशेष उत्साह नहीं दिखाई देता। इस प्रकार की विचारधारा और स्वतंत्रता की महत्ता से अपरिचित होना जाति के लिए हानिकारक ही है। लोगों में यह भाव जागना चाहिए कि इस दिन ने ही हमें परतंत्रता के बंधनों से मुक्त किया है। इस दिन के कारण ही अब सर्वत्र हमारा अपना ध्वज फहराता है और इस दिन के कारण ही अपना सिर गर्व से ऊँचा करके हम विदेशियों के सामने स्वाभिमान से रहते हैं। स्वतन्त्रता और इस दिन के महत्त्व को समझते हुए हमें इस प्रकार के राष्ट्रीय पवों में पूरे उत्साह से भाग लेना चाहिए।

स्वतन्त्रता दिवस पर हर जगह तिरंगा भी फहराया जाता है और राष्ट्र गीत भी गाया जाता है किन्तु यह भी खेद का विषय है कि अभी तक हमारे देश वासियों को इन दोनों से सम्बन्ध रखने वाले नियमों आदि का भी पूरा पता नहीं है।

स्वतन्त्रता दिवस समारोह पर हमें स्वाधीनता के महत्त्व और आंदोलन से भी परिचित होना चाहिए। देश में नए प्राण फूंकने के लिए यह आवश्यक है कि हर भारतीय-बच्चा, जवान, बूढ़ा-अपना कर्त्तव्य समझते हुए इस समारोह में सम्मिलित हो।

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