Hindi Essay on “Sanskritik Karyakaram Ka varnan ” , ” किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का वर्णन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का वर्णन
कार्यक्रम के आयोजक – होली के अवसर पर मेरे नगर की संस्था संस्कार भारती ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया | मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध उद्योगता एंवं समाजसेवी श्री राकेश अग्रवाल को आमंत्रित किया गया था | कार्यक्रम में नगर के दो हज़ार लोग आमंत्रित थे | सभा-भवन रोशनी तथा रंग-बिरंगी झालरों से सुशोभित था | दीप-प्रज्वलन के बाद संस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ |
सरस्वती की आराधना – सबसे पहले नगर की नवोदित गायिकाओं ने सस्वती की आराधना में एक मनोरस गीत प्रस्तुत किया-वीणावादिनी वर दे | इस गीत के साथ-साथ पाँच नर्तकियों ने थिरकन-भरा स्तुति-नृत्य प्रस्तुत किया | मधुर आवाज़ के साथ कुशल भाव-भंगिमाओं के योग ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया |
नृत्य के मनमोहक कर्यक्रम – सरस्वती-आराधना के पश्चात् नृत्यों की शुरुआत हुई | पहले एकल लोक-नृत्य प्रस्तुत किया गया | यह नृत्य स्थानीय रंग-ध्वनी को लिए हुआ था | इसके बोल थे – आयो रे आयो रे सावन आयो रे ! इसके पश्चात् 15 स्कूली छात्रों ने हिमाचली नृत्य प्रस्तुत किया | स्कुल की अध्यापिकाएँ विशेष रूप से वहाँ आमंत्रित थीं | इसके पश्चात् पंजाबी गिद्दा और भांगड़ा के कार्यक्रम प्रस्तुत हुए | इनके कारण सभा-भवन में जोश-खरोश भर गया | दर्शकों की नस-नस में मधुर उतेजना भर गई | सब दर्शक तरंगित थे | वे खुलकर तालियाँ बजा रहे थे और मुग्ध हो रहे थे | किसी भी नृत्य के आरंभ और समापन पर ज़ोरदार तालियाँ बजती थी | मंच के संचालक ने भी मीठी-मीठी चुटकियाँ लेकर समाँ बाँध दिया था |
कवितापाठ – इस दिन्बहर से दो विख्यात कवियों को आमंत्रित किया गया था | उनका कवितापाठ हमेशा-हमेशा के लिए मेरे मन में अंकित हो गया | पहले एक गज़लकार और दोहाकार अशोक सुमित्र को बुलाया गया | उन्होंने हिरण्याकश्यप जैसे अहंकारी और दमनकारी लोगों पर व्यंग्य कसते हुए कहा –
मेरे दिलवर यार की बुत जैसी है शान |
अंदर तक पत्थर, मगर, चेहरे पर मुसकान ||
मुझको हँसता देखकर चढ़ता बुखार |
मंगल के दिन भी उसे लगता है शनिवार ||
समारोप – इस गुदगुदाते कवितापाठ के बाद कलाकारों को सम्मानित किया | अंत में रसदार स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था थी | सचमुच यह कार्यक्रम होली जैसा-ही मस्त था | मुझे संस्कार भारती का यह कार्यक्रम भुलाए नहीं भूलेगा |