Hindi Essay on “Rashtriya Ekta” , ”राष्ट्रीय एकता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
राष्ट्रीय एकता
आज से सहस्त्र वर्ष पूर्व जब भारत में पूरी तरह एकता थी तब यह देश सारे विश्व में शक्ति व शिक्षा में महान था | तब हमारा एक राष्ट्र था, एक भाषा तथा एक ही राष्ट्रीय विचारधारा थी | परन्तु जब से हमारी राष्ट्रीय एकता छिन्न-भिन्न हुई है तब से हमे दुर्दिनो का सामना करना पड़ रहा है | तभी से हम परतन्त्र हो गए है | हमारे धर्म और संस्कृति पर कुठाराघात होने लगा है तथा हमारा राष्ट्रीय जीवन भी जर्जर हो गया है |
आज लगभग एक हजार वर्ष के कठोर संघर्ष के उपरान्त हमे बड़े सौभाग्य से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई है | इसे प्राप्त करने के लिए हमे कितनी ही यातनाएँ सहनी पड़ी है, कितने ही बलिदान देने पड़े है, इसका अन्दाजा भी नही लगाया जा सकता है | इस स्वतंत्रता को हम आपसी फूट के कारण बरबाद करने में लग गए है | यदि हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र बने रहना चाहते है तो हमारे देश को राष्ट्रीय एकता की आज भी उतनी ही आवश्यकता है जितनी जीवित रहने के लिए भोजन की |
स्वतन्त्रता- प्राप्ति के बाद अभी तक हमारा देश क्योकि राष्ट्र- निर्माण के तरह-तरह के कार्यो में लगा हुआ है , अंत : उसे सभी सहयोग की पूर्ण आवश्यकता है | जैसे बूंद-बूंद से घडा भरा करता है , वैसे ही व्यक्ति व्यक्ति के पारस्परिक सहयोग से एकता का उदय होता है | आज भारत को इसी शक्ति की नितान्त आवश्यकता है अर्थात एकता की इसके अभाव में कोई भी देश न तो अपना निर्माण ही कर सकता है और न ही एक कदम भी आगे बढ़ सकता है | जो राष्ट्र एक एव संगठित हुआ करता है, उसे कोई तोड़ नही सकता और न ही उसका कुछ बिगाड़ सकता है |
बीते कुछ वर्षो से भारतवर्ष में विषैली हवा चल रही है | चारो और प्रान्तीयता का विष धीरे- धीरे फैलता जा रहा है | जातियों तथा भाषाओ के नाम पर लोग आपस में मर –कट रहे है | धीरे- धीरे जनता में संकीर्णता की विचारधारा घर किए जा रही है | साम्प्रदायिकता को उभार कर अपना उल्लू सीधा करने लगे है | देश को विभाजित करने की प्रवृति पनपती जा रही है | ये प्रवृत्तियाँ देश के विकास से बाधक है | प्रत्येक सच्चे मानव व राष्ट्रजन का यह कर्त्तव्य हो जाता है कि वह अपने आस-पास चौकन्नी दृष्टि रख कर इस तरह के तत्त्वों को, जो देश को जर्जर करने की चेष्टा में लगे है , पनपने न दे |
राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए कितने ही राष्ट्रीय नेताओ ने अपने प्राणों तक की आहुति दे डाली | जिनमे महात्मा गांधी जी. पं. नेहरु जी , स्वामी श्रद्धानन्द जी आदि के नाम उल्लेखनीय है | अंत : राष्ट्रीय एकता के बिना हमारा गुजारा नही है | यदि राष्ट्रीय एकता बना कर हम निर्माण और विकास – कार्य न कर सके , तो भविष्य का इतिहास हमे कभी क्षमा न कर सकेगा , यह निशिचत है |
Very good is tarah ka essay samaj me positive phishlophy lane me sahayak hai