Hindi Essay on “Parvatarohan” , ”पर्वतारोहण” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
पर्वतारोहण
मानव का आदि युग से प्रकृति के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है | वह इसके साथ रहकर सदैव आनन्द की खोज में लगा रहता है | इसीलिए प्रकृति तथा मावन का आपसी सम्बन्ध अविच्छिन्न रूप से सदा के लिए जुड़ गया है | इसी कारण मानव की प्रवृत्ति घुमक्कड़ किस्म की बन गई है | पर्वतारोहण इसी प्रवृत्ति का अंग है |
पर्वतारोहण से अभिप्राय है पर्वतों के शिखरों पर चढना | आज के यान्त्रिक युग में पर्वतारोहण का शौंक मानव के साहस का परिचय तो देता ही है साथ ही उसका मनोरंजन भी करता है | यह शौंक बहुत दुर्गम व दु:साध्य है | भयंकर व कठिन मार्गो को पार कर सीधी ऊँचाई पर शिखर तक पहुँचना वास्तव में जोखिम भरा काम है | इस प्रकार के काम केवल साहसी लोग ही कर सकते है |
हिमालय के सर्वोच्च शिखर ‘एवरेस्ट’ पर विश्व के कुछ साहसी लोगो ने ही सबसे पहले अपने कदम रखे थे | उसके बाद तो हिमालय के अन्य दुर्गम शिखरों पर अनेक लोग अपनी पद-चाप छोड़ चुके है | अभी कुछ समय पूर्व मानव ने कंचनजंगा शिखर पर अपनी कीर्ति पताका फहरायी थी | पर्वतारोहण का साहसिक कार्य कोई भी व्यकित अकेले नही कर सकता है | इसके शौक़ीन इस काम के लिए पुरे दलबल के साथ चलते है | उनके साथ ऐसे लोग भी होते है जिन्हें पर्वतों की कुछ जानकारी होती है | अपने साथ वे उपयोगी वस्तुएँ व अनिवार्य अन्य सामान ले जाते है | पर्वतारोहण के लिए प्राय : उन्हें औजार, मोटे रस्से , जंगली जीव जन्तुओ से सुरक्षा के लिए अस्त्र, हवा, जल तथा हिम की सामग्री , तम्बू, पर्वतों के मान चित्र और कैमरे आदि की आवश्यकता पडती है | इनके अतिरिक्त ये पर्वतारोही सामन ढोने वाले पहाड़ी , डाक्टर, पत्रकार तथा भूगोलवेत्ता को भी साथ ले जाना पसन्द करते है |
विश्व प्रसिद्ध पर्वतारोही जिनके साहस की गाथाएँ सर्वप्रचलित है वे है – अँग्रेज पर्यटक सर जार्ज एवरेस्ट, हावर्ड वैरी, कप्तान हिलैरी, इर्विन ओल्ड, जनरल ब्रूस , मैलोरी व कर्नल हंट तथा भारतीय पर्यटक शेरपा तेनसिंह और ब्चेन्द्रिपाल | नगराज हिमालय भारत का सरताज है | यह पर्वतारोहण के शौकिनो के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है | युवा वर्ग प्रतिवर्ष इसके दुर्गम शिखरों पर पहुँच रहे है | आजकल युवतियाँ भी इस शौंक में सम्मिलित होती जा रही है | वे भी युवको की भांति निडर तथा साहसी है | प्राय: पर्वतारोहण के शौक़ीन वे ही लोग होते है जो मृत्यु को खेल के समान समझते है | आज से कुछ समय पूर्व कुछ उत्साही युवको ने हिमालय के ऐसे दुर्गम क्षेत्रो में पद चिन्ह छोड़े थे, जिन्हें पहुँच से बाहर माना जाता था |