Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay on “Manav Charitra ” , ” चरित्र-बल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Hindi Essay on “Manav Charitra ” , ” चरित्र-बल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

चरित्र-बल

     चरित्र एक महाशक्ति – बर्टल लिखते हैं – ‘चरित्र एक एसा हीरा है, जो हर किसी पत्थर को घिस सकता है |’ चरित्र केवल शक्ति ही नहीं, सब शक्तियों पर छा जाने वाली महाशक्ति है | जिसके पास चरित्र रूपी धन होता है, उसके सामने संसार-भर की विभूतियाँ, संपतियाँ और सुख-सुविधाएँ घुटने टेक देती हैं |

     चरित्र पर सर्वस्व सम्पूर्ण – राणा के चरित्र पर भामाशाह का धन भी समप्रित हो गया | सुभाष के चरित्र को देखकर असंख्य युवकों-युवतियों ने धन, संपति, खून –  यहाँ तक कि अपना पूरा जीवन तक होम कर दिया | मुट्ठी भर हड्डियों वाले बापू पर विश्व की कौन-सी संपति कुर्बान नहीं थी ? संतों-महात्माओं को जितना धन-यश, वैभव और भक्ति मिलती है, उसका एक अल्पांश भी बड़े-बड़े धन्नासेठों को नहीं मिलता | चरित्र तो सब शक्तियों का बादशाह है |

     चरित्र जा जन्म – चरित्र जन्मजात गुणों और आदान से ढाले गए व्यवहार को मिलकर बनता है | गाँधीजी का उदहारण सामने है | वे प्रितिभा में अत्यंत सामान्य थे | परंतु उन्होंने सत्य, अहिंसा और न्याय के जो गुण अपने जीवन में ढाले, उसी के परिणामस्वरुप उन्हें ऐसा उज्जवल चरित्र मिला जिससे सारे विश्व को प्रकाश प्राप्त हुआ | इसीलिए बोर्डमैन लिखते हैं –

     “कर्म को बोओ और आदाल की फसल काटो ; आदत को बोओ और चरित्र की फसल काटो ; चरित्र को बोओ और भाग्य की फसल काटो |”

     चरित्र साधना है | इसे अपने ही प्रयास से पैसा किया जा सकता है | इसका तरीका भी बहुत सरल है – सद्गुणों पर चलना, अवगुणों से बचना | प्रेम, त्याग, करुणा, मानवता, अहिंसा को अपनाना तथा लोभ, मोह, निंदा, उग्रता, क्रोध, अहंकार को छोड़ना | परंतु यह सरल-सा मार्ग ही साधना के बिना बहुत कठिन हो जाता है |

     चरित्र-बल के लाभ- चरित्रवान व्यक्ति स्वयं को धन्य अनुभव करता है | उसे पाना जीवन सफल प्रतीत होता है | संसार की सारी खुशियाँ उसके चारों और घुमती हैं | उसके चारों और उत्साह का ऐसा प्रकाश-मंडल घिर आता है कि संसार के कष्ट भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते | चरित्रवान व्यक्ति को मिले काँटे भी फुल बन जाते हैं | अपमान भी सम्मान बन जाते हैं, जेल के सींखचे उसके लिए मंदिर बन जाते हैं, विष के प्याले अमृत बन जाते हैं |

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

commentscomments

  1. Munish says:

    Nice.. ☺️☺️☺️😊😊😊

  2. Anuttar says:

    Good☺😊😀😊😊

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *