Hindi Essay on “Badhta hua Pradushan ek Samasya”, “बढ़ता हुआ प्रदूषण-एक समस्या” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
बढ़ता हुआ प्रदूषण–एक समस्या
Badhta hua Pradushan ek Samasya
सृष्टि में पर्यावरण सामान्यतौर पर वायु, जल, मिट्टी, पौधों, वृक्षों तथा पशुओं द्वारा परस्पर संयोग से किया जाता है । ये पारस्परिक सन्तुलन को बनाए रखने के लिए एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं । सन्तुलित पर्यावरण में सभी तत्त्व एक निश्चित अनुपात में विद्यमान होते हैं, किन्तु पर्यावरण में पाए जाने वाले एक या अधिक तत्वों की मात्रा अपनी निश्चित मात्रा में बढ़ जाती है या पर्यावरण में विषैले तत्वों का मेल हो जाता है तो वह पर्यावरण प्राणियों के जीवन के लिए घातक बन जाता है । पर्यावरण में होने वाले इस घातक परिवर्तन को ही प्रदूषण का नाम दिया जाता है ।
वास्तव में प्रदूषण जलवायु या भूमि के भौतिक, रसायनिक और जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन है जिससे मनुष्यों, अन्य जीवों तथा प्राकृतिक साधनों को हानि होने की सम्भावना हो ।
प्रदूषण के विभिन्न रूप
(i) वायु प्रदूषण– प्रदूषण के भिन्न-भिन्न रूप हैं जिनमें वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण प्रमुख है । वायु प्रदूषण सबसे अधिक व्यापक और हानिकारक है । आज विश्व में तेजी से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। 19वीं शताब्दी से अब तक वायु मंडल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है । यदि वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा में इसी प्रकार तेज़ी से वृद्धि होती रही तो एक दिन ऐसा आएगा जब वायुमण्डल में से आक्सीजन का अनुपात धीरे-धीरे घट जाएगा तथा लोगों में श्वास रोग, नेत्र रोग, हृदय रोग आदि रोगों को वृद्धि होगी । औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाली सल्फर डाइआक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड गैसें वायुमण्डल में पहुँच कर पुन: वर्षा के जल के साथ घुल कर पृथ्वी पर पहुंचती है और गन्धक का तेजाब बनाती हैं जो प्राणियों और अन्य पदार्थों को काफी हानि पहुंचाता है। प्रदूषको में क्लोराइड का भी प्रमुख स्थान है । पौधों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे पौधों की पत्तियाँ नष्ट हो जाती हैं । इसके साथ ही कीटनाशक, शाकनाशक तथा जीवनाशक, पारा, पीसा आदि के यौगिक कण भी वायु में रहते हैं । इनका भी मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है ।
(ii) जल प्रदूषण–जल सभी प्राणियों के जीवन के लिए एक अनिवार्य वस्तु है । पेड़ पौधे भी आवश्यक पोषक तत्व जल से ही घुली अवस्था में ग्रहण करते हैं । जल में अनेक प्रकार के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ,खनिज, तत्व व गैसें घुली होती हैं । यदि इन तत्वों की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो जल हानिकारक हो जाता है । उसे हम प्रदूषित जल कहते हैं । जल का प्रदूषण अनेक प्रकार से हो सकता है जिसका प्रमुख कारण है कुएं, जलाशयों एवं नदियों इत्यादि में गन्दगी का डाला जाना । नदियों एवं समुद्र में डाली गई कारखानों की गन्दगी विषैले यौगिकों के रूप में बदल जाती है । ये विषैले यौगिक मछलियों के आहार के रूप में व्यक्तियों के शरीर में पहुंच कर कई घातक बीमारियों को जन्म देते हैं जिनका परिणाम मृत्यु भी हो सकता है ।
(iii) ध्वनि प्रदूषण–आज इस यान्त्रिक युग में ध्वनि का प्रदूषण भी चरम सीमा पर पहुंच गया है तथा एक गम्भीर समस्या बन गया है । जगह जगह ऊँची ऊँची आवाज़ में लाउडस्पीकरों का बजाया जाना, मोटर गाड़ियों के हार्न आदि सभी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देते है । ध्वनि की तीव्रता जहाँ एक ओर हमारे कानों के लिए घातक होती है वहीं वह हमारी हृदय गति को भी बढ़ा देती है, जिससे हमारे हृदय में रक्त के आने जाने की गति तेज़ हो जाती है, धमनियों में रक्त जमना शुरु हो जाता है तथा वे सिकुड़ने लगती हैं । परिणामस्वरूप हृदय पर कार्य भार की अधिकता हो जाती है जिससे रक्त चाप में वृद्धि हो जाती है । इसके अतिरिक्त तीव्र ध्वनि का प्रभाव हमारी सांस लेने की प्रक्रिया तथा पाचन क्रिया पर भी पडता है।
प्रदूषण का अजगर मानव जीवन को निगलने के लिए तैयार बैठा है। इसलिए यदि समय रहते इस समस्या का समाधान न किया गया तो एक दिन ऐसा आएगा जब प्रदूषण की समस्या सम्पूर्ण मानव जाति को निगल जाएगी । इसलिए इस समस्या को हल करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने होंगे-
- वृक्षारोपण का कार्यक्रम तेज़ी से चलाया जाए ।
- वनों के काटने पर रोक लगाई जाए ।
- नगर में सफाई की ओर विशेष ध्यान दिया जाए ।
- पेयजल की शुद्धता की ओर विशेष ध्यान दिया जाए ।
- परमाणु विस्फोटों पर पूर्ण रूप से नियन्त्रण लगाया जाए ।
हमारे देश की सरकार ने प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अनेक पग उठाए हैं जैसे केन्द्रीय जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जल एवम् वायु के प्रदूषण को रोकने के लिए अनेक सुझाव दिए हैं जिन पर तेज़ी से अमल किया जा रहा है । भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को कड़े निर्देश दिए हैं कि प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों में ट्रीटमैंट प्लांट लगवाये जाएं । इस प्रकार हम देखते हैं कि सरकार देश में प्रदूषण रोकने के लिए युद्धस्तर पर प्रयत्नशील है।
यद्यपि भारत सरकार तथा विश्व के सभी देश प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अनेक उपाय कर रहे हैं परन्तु बढ़ती हुई आबादी, वनों का अधिक मात्रा में कट जाने से अभी तक अश्चार्यजनक परिणाम सामने आने की उम्मीद कम है और निकट भविष्य में भी प्रदूषण की समस्या के निराकरण और पर्यावरण की शुद्धता के कोई आसार नज़र नहीं आते ।