Hindi Essay, Moral Story “Apne kiye ka kya ilaj” “अपने किए का क्या इलाज” Story on Hindi Kahavat for Students of Class 9, 10 and 12.
अपने किए का क्या इलाज
Apne kiye ka kya ilaj
गांव के किनारे एक किसान का घर था। घर के सामने ही उसके खेत थे। खेतों में गेहूं की पकी फसल खड़ी हुई थी। खेतों की रखवाली में पूरा परिवार रात-दिन लगा रहता था। कई साल बाद इतनी अच्छी फसल हुई थी। सभी लोग प्रसन्न थे। इस फसल के भरोसे किसान ने कई मनसूवे पूरे करने के विचार बना लिए थे।
उसने गाय और बकरी के साथ मुर्गियां तथा बतखें भी पाल रखी थीं। मुर्गियों और बतखों के लिए घर के बाहर ही दरबे बना रखे थे। दरवाजे पर ही गाय और बकरी बंधी रहती थीं। घर के बाईं ओर एक छोटा तालाब था। मुर्गियां और बतखें तालाब तक डोलती रहती थीं। चुगती रहती थीं। बतखें पानी में तैरती भी थी।
पास में एक जंगल था। उस जंगल की एक लोमड़ी किसान के घर तक चक्कर लगा जाती थी। एक दिन मौका पाकर किसान की एक मुर्गी को ले गई। किसान को बड़ा दुख हुआ। घर के सभी लोग चौकन्ने रहकर मुर्गियों और बतखों की देख-रेख करने लगे। लोमड़ी अब और जल्दी-जल्दी चक्कर लगाने लगी। अब वह सुबह-झुटपुटे और दिन डूबे के अंधेरे में चक्कर लगाने लगी। मौका पाते ही कभी बतख को मार जाती और कभी मुर्गी को ले जाती।
किसान ने लोमड़ी को पकड़ने और मारने के कई उपाय किए, लेकिन सफल नहीं हो सका। एक दिन उसने जाल फैलाकर लोमड़ी को पकड़ लिया। किसान ने उसे तड़पाकर मारने की सोची। उसने लोमड़ी की पूँछ में फटे-पुराने कपड़ों को लपेटकर मिट्टी का तेल डाला और आग लगा दी।
लोमडी के गले में रस्सी बांधकर एक खूटे से बांध दिया था। पूंछ में आग लगते ही लोमड़ी उछल-कूद करने लगी। बच्चे हो-हो करके हंसने लगे। कभी-कभी लोमड़ी पीछे हटकर गले से फंदा निकालने की कोशिश करती। उछल-कूद में रस्सी में आग लग गई। रस्सी टूट गई और लोमड़ी निकल भागी।
लोमड़ी ने सबसे पहले पूंछ में लगी आग बुझाने की सोची। वह सामने ही किसान के खेत में घुस गई। वह आग बुझाने के लिए खेत में इधर-से-उधर और उधर-से-इधर अपनी पूंछ को पौधों से रगड़ती हई भागती रही, दौड़ती रही। देखते-ही-देखते सारा खेत धू-धूकर जलने लगा। खेत आग की लपटों से भर गया।
एक-दो घंटे में किसान की लहलहाती फसल जलकर राख हो गई। किसान के घर में मातम-सा छा गया। रात को सोते समय उसे नींद नहीं आई। वह लेटा-लेटा सोचता रहा- ‘अपने किए का क्या इलाज’ ।