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Hindi Essay on “Nirdhanta ek Abhishap” , ”निर्धनता – एक अभिशाप” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

निर्धनता – एक अभिशाप

निर्धनता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए एक अभिशाप है | निर्धनता मनुष्य के जीवन की वह स्थिति है जव वह जीवन की अनिवार्यताओ से भी वंचित रह जाता है तथा बद से बदतर जीवन व्यतीत करने पर बाध्य हो जाता है | निर्धन व्यकित के लिए साड़ी दुनिया सुनी रहती है | अत : निर्धनता को अनन्त दु:ख का प्रतीक मन जाता है | आज के इस भौतिक युग में जहाँ एक और लोगो के पास धन के भण्डार भरे पड़े है वहाँ निर्धन के पास इसका नितान्त आभाव रहता है |

स्वतंत्रता के 64 वर्ष पुरे होने पर भी हमारे देश के अधिकांश भाग में निर्धनता का वास है | देश के स्वतंत्र होने के बाद से हमे जिस दैत्य का सामना करना पड़ रहा है वह है निर्धनता | हमारे देश में कर्णधारो ने इसी को नष्ट करने के लिए ‘आराम हराम है’ का नारा लगाया | स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने इसे मिटाने के लिए ‘गरीबी हटाओ’ का आह्रान किया | उन्होंने इसके लिए बैको का राष्ट्रीयकरण तथा भूतपूर्व राजाओ के प्रिवीपर्स तक बन्द किए | उन्होंने इनके अतिरिक्त निर्धनता को समाप्त करने के लिए और भी अनेक कार्यक्रम अपनाए जैसे श्री सम्पत्ति पर सीमा – निर्धारण , रोजगार के नए प्रयोजन , बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण करना आदि |

देश में इस घोर निर्धनता के अनेक कारण है – पहला कारण है देश में सम्पत्ति का असमान वितरण , एक और धनी वर्ग धनी होता जा रहा है तथा निर्धन नित्य प्रति निर्धन होता जा रहा है | धनवान तो महलो में सुख भोग रहे है और उनके तो कुत्ते भी दूध पी रहे है दूसरी और निर्धनों के बच्चे रूखे – सूखे टुकडो को तरस रहे है | दूसरा कारण है देश में जनसंख्या की असाधारण वृद्धि | तीसरा कारण लोगो में राष्ट्रीय भावना की कमी का होना; परिणामत : आए दिन राष्ट्रीय सम्पत्ति का विनाश जिसके पुननिर्माण में धन का अपव्यय | जिसके कारण निर्धनों के हिस्से का पैसा व्यर्थ हो जाता है | चौथा कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार | बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी व्यापारी विदेशो में अपने बैक खाते खोलकर विदेशियों का पेट भर रहे है तथा अपने देश को निर्धन बना रहे है | पाचवा कारण है देश में कृषि व उद्दोगो का उत्पादन कम होना | देश के कुटीर उद्दोग प्राय: नष्ट से हो रहे है तथा कृषि पुराने ढग से की जा रही है | उत्पादन में वृद्धि की तुलना में जनसंख्या में वृद्धि का होना भी विशेष रूप से निर्धनता का कारण है |

इसे दूर करने के लिए हमे सर्वप्रथम कृषि व कुटीर व अन्य उद्दोगो का विकास करके उत्पादन को बढ़ाना होगा | दूसरा तेजी से बढती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना होगा | हमे प्रयत्न करना चाहिए कि विदेशी ऋण लेने की बजाय अपने आप को स्वावलम्बी बनाएँ | हमारे देश के प्रधानमंत्री व अन्य नेतागण इस बात के लिए कृतसंकल्प है कि वे देश से निर्धनता के दैत्य को भगाकर ही दम लेगे |

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commentscomments

  1. A. L Prasanna says:

    Thanks. It is really helpful for doing Homeworks etc…

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