Upanyas mein mera charitra “उपन्यास में मेरा प्रिय चरित्र” Hindi Essay, Nibandh 500 Words for Class 10, 12 Students.
उपन्यास में मेरा प्रिय चरित्र
Upanyas mein mera charitra
कल्पना या उपन्यास जिन्दगी का प्रतिबिम्ब होता है। कल्पना के चरित्र वास्तव में काल्पनिक होते हैं, हालांकि वे निश्चित रूप से समाज में हम जो जिन्दगी जी रहे हैं उसका प्रतिनिधित्व करते हैं। यही वे कारण हैं जो हममें कुछ काल्पनिक चरित्रों के प्रति आकर्षण पैदा करते हैं।
मेरा प्रिय चरित्र डिकेन्स के उपन्यास डेविड कापरफिल्ड का नायक डेविड है। उपन्यासकार के रूप में डिकेन्स प्राथमिक रूप से चरित्रों के चितेरा के रूप में प्रसिद्ध होते हैं। अतः उनके उपन्यास कथा के बदले चरित्र के उपन्यास के रूप में जाने जातं हैं। ‘डेविड कापरफिल्ड’ डिकेन्स की महाकृति है और इस उपन्यास में आत्मगाथा की झलक विशेष कर नायक के रूप में है। डेविड और कोई नहीं, बल्कि डिकेन्स खुद हैं। उनकी पूरी जिन्दगी डेविड के चरित्र के रूप में चित्रित है।
उपन्यास में डेविड हमसे एक गरीब बालक के रूप में परिचित होता है जिसके पिता की मृत्यु उसके जन्म से पहले हो गई है। उसकी देखभाल उसकी नौकरानी पेगोटी करती है जो अन्त तक उसकी मदद करती है। डेविड की माँ अपने बच्चों का भरण-पोषण करने में असमर्थ रहती है और पुनः विवाह कर लेती है। डेविड का सौतेला पिता अत्यधिक गुस्से वाला व्यक्ति है जो उसे हमेशा छोटी-छोटी बातों में फटकारता और मारता रहता है। तब डेविड को लन्दन में एक आवासीय विद्यालय में भेज दिया जाता है जहाँ उसके दिन बहुत कष्ट से गुजरते हैं। किसी तरह उसे सारी कठिनाइयों का सामना करना होता है। तब उसकी माँ की मृत्यु एक बच्चे को जन्म देते समय हो जाती है। डेविड को अपना विद्यालय छोड़ना पड़ता है। डेविड तब पिगोटी के पास जाता है और उसकी सहायता से अपनी बुआ के घर पहुँचने में सफल होता है, जो उसके पिता की अविवाहित बहन है। वह डेविड को आश्रय देती है और शिक्षित बनाती है। डेविड को एक वकील की सुन्दर पुत्री से प्रेम हो जाता है, जो उसकी बुआ का दोस्त है। बाद में दोनों की शादी हो जाती है। उसका भविष्य प्रसन्नता और सुख-समृद्धि से गुजरता है और उपन्यास के निष्कर्ष में हम उसे एक सफल नवयुवक और साथ ही साथ एक प्रेमी भी पाते हैं। किन्तु कथा में यहाँ पर डिकेन्स की जिन्दगी में अन्तर है। वह कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं था।
डेविड के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता, जो पाठकों को आकर्षित करती है, वह उसका हँसमुख और मृदु स्वभाव है। वह कभी भी अपनी जिन्दगी के अन्धकारपूर्ण और सबसे ज्यादा संकट की घड़ी में भी निराशावादी नहीं हुआ। उसने अपनी मुस्कान की शान्ति और प्रमोद को नहीं खोया। उसने अपने जीवन के सभी दुर्भाग्य का शांतिपूर्वक सामना किया, वह उन विषम और विपरीत परिस्थितियों, जो उसकी जिन्दगी में बाधा समाप्त कर सकती थीं में कभी नहीं घबराया। फिर उसका पिगोटी के प्रति गहरा प्रेम और श्रद्धा है, जिसे वह अपनी माँ की तरह प्यार करता था। उसके जीवन का रोमानी दौर भी प्रशंसनीय है। अन्त में उसका चरित्र हमें आदर्श और उच्च शिक्षा देता है।