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Tsunami-Samudra ka Prakop “सुनामी-समुद्र का प्रकोप” Hindi Essay, Paragraph in 700 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

सुनामी-समुद्र का प्रकोप

Tsunami-Samudra ka Prakop

‘सुनामी’ एक जापानी शब्द है। जो दो शब्दों सु + नामी से मिलकर बना है। ‘सु’ का अर्थ होता है बन्दरगाह (जापानी भाषा में), एवं नामी का अर्थ होता है- ‘लहर’ (जापानी भाषा में)। कुछ लोग सुनामी लहरों का सम्बन्ध ज्वारीय लहरों से जोड़ते हैं लेकिन वास्तव में सुनामी लहरें ज्वारीय लहरें नहीं होती हैं। सुनामी लहरें ज्वारीय लहरों से सर्वथा भिन्न होती है।

सुनामी तरंगों की एक ऐसी शृंखला है जो पानी के अन्दर हलचल मचने पर जल स्तम्भ के विस्थापन से उठती है। इसकी चपेट में निचले तटवर्ती इलाके पूरी तरह आते हैं। ज्वारीय लहरों की भांति सुनामी लहरें कभी अकेली नहीं होती। बल्कि सुनामी लहरें 5 से 10 मिनट के अन्तराल में एक के बाद एक आकर तबाही मचाती हैं। यद्यपि खुले एवं गहरे समुद्र में ‘सुनामी लहरें’ विनाशकारी नहीं होती। तथापि जैसे-जैसे ये छिछले सागरीय क्षेत्रों में, तटीय क्षेत्रों में पहुँचाती जाती हैं, इनका रौद्र रूप बढ़ता जाता है। यहाँ प्रश्न यह भी उठता है कि सुनामी लहरें कैसे और किन कारणों से उठती हैं । यहाँ यह दर्शाया गया है कि-

(i) जब सागर के अन्दर उठा-पटक की शक्ति जल स्तम्भ को उठा देती है।

(ii) जब समुद्र तल में उठा-पटक से ऊपर (समुद्र तटीय भाग) में भी हलचल मचती है।

(iii) जब गुरुत्वीय प्रभाव से जल में ऊपर से हलचल बढ़ती है।

तब ऊपर वर्जित कारणों से सुनामी जैसी लहरें कोहराम पैदा करती है। सुनामी लहरें इतनी भयंकर विनाशकारी होती हैं कि वैज्ञानिक इसे ‘जियोलाजिकल टाइम बम’ कहकर पुकारते हैं। ये सुनामी लहरें वृत्ताकार वर्गों में एक के बाद एक जल के स्पर्श बिन्दु से निकलकर चारों तरफ प्रसारत होती हैं। स्पर्श बिन्दु से निकलते समय इन तरंगों की मोटाई काफी कम होती है। किन्तु जैसे-जैसे ये लहरें किनारे पर पहुँचती जाती हैं, इनकी ऊंचाई एवं मोटाई बढ़ती जाती है। अर्थात् जब समुद्र के किसी क्षेत्र में शक्तिशाली भूकम्प आता है जो जल के ऊपरी सतह पर केन्द्रीय बिन्दु से कुछ सेंटीमीटर लम्बी जल की वृत्ताकार तरंगे निकलकर आगे प्रसारित होने लगती हैं। उत्पत्ति के समय ये तरंगे हानिकारक नहीं होती हैं, लेकिन जैसे-जैसे ये लहरें छिछले जल वाले तटवर्ती क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं विनाशकारी होती जाती हैं एवं सब कुछ (धन-जन) अपने अन्दर समेट लेती हैं। ये सुनामी लहरें जेट विमान से भी तेज गति से चलती हैं, क्योंकि भूकम्प के कारण जब धरती बुरी तरह कांपती है तो भूकम्प के झटकों से लचीली तरंगे उत्पन्न होकर ठोस धरती से होकर गतिशील हो जाती हैं। यह स्थिति तब समुद्र के भीतर या समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न होकर ठोस धरती से होकर गतिशील हो जाती हैं। यह स्थिति जब समुद्र के भीतर या समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न होती है तो भूकम्प के केन्द्र पर समुद्र की आंतरिक सतह तीव्र गति से ऊपर उठती है एवं पुनः अन्दर जाती है जिसके चलते समुद्री जल भी दबाव की क्रिया से ऊपर उठता है एवं पुनः नीचे जाता है। भूकम्प से मुक्त हुई ऊर्जा समुद्री जल को सामान्य स्तर से ऊपर उठा देती है। स्थितिज ऊर्जा सुनामी लहरों के उत्पन्न होते ही गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है एवं इन तरंगों को धक्का देकर आगे प्रसारित करने लगती हैं। कुछ समय के ही बाद गतिज ऊर्जा से ओत-प्रोत ये तरंगे शक्तिशाली सुनामी लहरों के रूप में बदल जाती है। ये शक्तिशाली लहरें अपने मार्ग में आने वाली प्रत्येक वस्तु को नष्ट करते हुए दैत्याकार रूप में आगे बढ़ने लगती है।

समुद्री जल में उत्पन्न सुनामी लहरों की वेव लेंथ 500 कि. मी. से अधिक होती है एवं लगभग एक घण्टे तक बरकरार रहती है। सुनामी लहरें 550 मील (700-800 कि. मी.) प्रति घण्टे की रफ्तार से आगे-आगे बढ़ेगी। इस तरह स्पष्ट है कि इस गति से सुनामी लहरें जेट विमान की गति को भी पीछे छोड़ सकती हैं एवं 24 घण्टे से भी कम समय में ही सम्पूर्ण समुद्र क्षेत्र को आर-पार कर सकती हैं।

सुनामी लहरें बीते समय में कब-कब आईं और क्या-क्या कर गई, इसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है’-

(1) सुनामी लहरों से 1 नवम्बर 1755 में पुर्तगाल और समस्त यूरोप में 60,000 से ज्यादा लोग मारे गए।

(2) सुनामी लहरों में 27 अगस्त 1883 में इण्डोनेशिया के जावा और सुमात्रा द्वीपों में करीब 36000 हजार लोग मारे गए।

(3) सुनामी लहरों से 15 जून 1896 में जापान के पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र में लगभग 27,000 लोग मारे गए।

(4) सुनामी लहरों से 23 अगस्त 1976 में दक्षिण-पश्चिम फिलीपीन्स में लगभग 80,000 लोग मारे गए ।

(5) सुनामी लहरों से 26 दिसम्बर, 2004 में इण्डोनेशिया, भारत, श्रीलंका, थाइलैण्ड, म्यांमार, सोमालिया, मालद्वीप, बांग्लादेश तंजानिया में लगभग 2,00,000 (दो लाख) लोग मारे गए।

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