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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 213)
गोस्वामी तुलसीदास Goswami Tulsidas मध्यकालीन (संवत 1375-1700 तक) सगुणवादी भक्ति-आंदोलन के साधक कवियों में अपनी चहुंमुखी काव्य प्रतिभा के बल पर ‘लोक नायक’ जैसा महत्वपूर्ण पद प्राप्त करने वाले गास्वामी तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के राजापुर नामक गांव में संवत 1589 में हुआ माना जाता है। पिता का नाम पं. आत्माराम दूबे और माता का नाम हुजसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नामक कुनक्षत्र में जन्म लेने के...
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July 21, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सूरदास Surdas निबंध नंबर :- 01 सूरदास का संबंध मध्यकाल (भक्ति काल) के सगुणवादी भक्ति आंदोलन से है। जीवन और काव्यू को मधुर-कोमल भावों से सजाने-संवारने वाले महाकवियों में भक्तप्रवर सूरदास की गणना प्रमुख रूप से होती है। मध्य काल में गोस्वामी बल्लभाचार्य ने जिस कृष्णभक्ति शाखा की प्रतिष्ठा और प्रचार किया था, सूरदास उसके प्रमुख कवि और गायक माने जाते हैं। परंतु खेद के साथ कहना पड़ता है कि इनका...
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July 21, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पंडित जवाहरलाल नेहरू Pandit Jawaharlal Nehru निबंध नंबर : 01 आधुनिक स्वतंत्र भारत के निर्माताओं में गांधी जी के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू का नाम ही सर्वाधिक आदर के साथ लिया जाता है। इस कारण और युद्ध जैसे विषयों के विरुद्ध अपनी आवाज उठा शांति-क्षेत्रों को बढ़ावा एंव विस्तार देने के कारण पं. नेहरू का नाम सारे विश्व में आदर के साथ लिया जाता है, और लिया जाता रहेगा। उन्हें शांति-दूत...
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July 21, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कर्म-प्रधान विश्व रचि राखा Karm Pradhan Vishv Rachi Rakha ‘कर्म-प्रधान विश्व रचि राखा’ यह उक्ति श्रीमदभगवद गीता के इस सिद्धांत या कर्मवाद सिद्धांत पर आधारित है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:’ अर्थात इस संसार में बिना फल या परिणाम की चिंता किए निरंतर कर्म करते रहना ही मानव का अधिकार अथवा मानव के वश की बात है। दूसरे रूप में इस कथन की व्याख्या इस तरह भी की जा सकती है-फल...
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July 19, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सादा जीवन उच्च विचार Sada Jivan Uchch Vichar निबन्ध नंबर :- 01 इस तरह की सहजता, स्वाभाविकता बहुत बड़ा गुण है। परंतु आज का युग प्रदर्शन और कृत्रिमता का युग बनकर रह गया है। आज तडक़-भडक़ को ही विशेष एंव अधिक महत्व दिया जाने लगा है। तन पर पहनने वाले कपड़े हों या घरों-दफ्तरों के उपकरण और उपयोगी सामान सभी जगह प्रदर्शनप्रियता के कारण कोरी चमक-दमक का बोलबाला है। सादगी और...
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July 19, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भावना से कर्तव्य ऊंचा है Bhavna se Kartavya uncha hai संसार में असंख्य प्राणी हैं। उनमें सर्वाधिक और विशिष्ट महत्व केवल मनुष्य नामक प्राणी को ही प्राप्त है। इसके मुख्य दो कारण स्वीकार किए जाते या किए जा सकते हैं। एक तो यह कि केवल मनुष्य के पास ही सोचने-समझने के लिए दिमाग और उसकी शक्ति विद्यमान है, अन्य प्राणियों के पास नहीं। वे सभी कार्य प्राकृतिक चेतनाओं और कारणों से...
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July 19, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मजहब नहीं सिखाता अपास में बैर रखना Mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna निबंध नंबर :- 01 अच्छाई हमेशा अच्छाई रहती है। उसका मूल स्वरूप-स्वभाव कभी विकृत नहीं हुआ करता। उस पर किसी एक व्यक्ति या धर्म-जाति का अधिकार भी नहीं हुआ करता। अपने मूल स्वरूप में मजहब भी एक अच्छाई का ही नाम है। मजहब, धर्म, फिरका, संप्रदाय और पंथ आदि सभी भाववाचक संज्ञांए एक ही पवित्र भाव और...
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July 19, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अंत भला तो सब भला Ant Bhala, to Sab Bhala अक्सर कहा-सुना जाता है कि कर भला, हो भला, अंत भला तो सब भला। परंतु जीवन और संसार में क्या भला और बुरा है, क्या पुण्य है और क्या पाप है, इस संबंध में कोई भी व्यक्ति अंतिम या निर्णायक रूप से कुछ नहीं कह सकता। मेरे लिए जो वस्तु भक्ष्य है, स्वास्थ्यप्रद और हितकर है, वही दूसरे के लिए अभक्ष्य,...
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July 19, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment