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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 211)
आज के गांव Aaj Ke Gaon आरंभव से ही यह मान्यता चली आ रही है कि भारत गांव-संस्कृति प्रदशन देश है। फिर भी गांव का नाम सुनते ही आपस में, दो सर्वथा विरोधी चित्र हमारे सामने उभरकर आ जाते हैं। एक चित्र तो बड़ा ही सुंदर और सुहावना प्रतीत होता है, जबकि दूसरा एकदम कुरूप और भद्दा। पहले चित्र के अनुसार गांव कच्चे-पक्के पर साफ-सुथरे घरों का एक ऐसा समूह बनकर...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषांए Rashtrabhasha Aur Pradeshik Bhashaye ‘राष्ट्र’ शब्द एक भाववाचक संज्ञा है, जो व्यापक ही नहीं भावभूमि भी रखती है। राष्ट्र एक ऐसी कड़ी या अमूर्त सत्ता को कहा जाता है कि जो प्रत्येक स्तर पर आतंरिक रूप से संबद्ध एंव एक हुआ करती है। यह एकता भाषा के स्तर पर भी होना, राष्ट्र की स्वतंत्र सत्ता की पहली शर्त है क्योंकि भाषा ही वह सर्वसुलभ माध्यम होता है,...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments
राष्ट्रभाषा की समस्या Rashtriya Bhasha Ki Samasya सामान्य एंव व्यावहारिक दृष्टि से समूचे राष्ट्र द्वारा व्यवहत और संविधान द्वारा स्वीकृत भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। संसार के प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक संविधान-सम्मत राष्ट्रभाषा है। वे राष्ट्र-जन और उनके नेता देश-विदेशी सभी जगह अपनी उस राष्ट्रभाषा के प्रयोग में ही गौरव का अनुभव करते हैं। वे अंग्रेजी आदि तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय भाषांए जानते हुए भी उन्हें देश-विदेश में प्रयुक्त करना अपना,...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विज्ञापन के उपयोग और महत्व Vigyapan ke Upyog Aur Mahatav आज की युग-चेतना की दृष्टि से विभिन्न कलाओं के अंतर्गत विज्ञापन को भी एक उपयोगी कला कह सकते हैं। इस दृष्टि से ही आज के युग को विज्ञापन का युग भी कहा जाता है। विज्ञापन का एक खास प्रभाव और महत्व हुआ करता है। वह सामान्य को विशेष और कई बार विशेष को सामान्य बना देने की अदभुत क्षमता रखता है।...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समाचार-पत्र Samachar Patra समाचार-पत्र यानी अखबार आज के जीवन के हर दिन की होने वाली सुबह की पहली महत्ती आवश्यकता है। मनुष्य एक बुद्धिमान, विचारवान, विविध प्रकार के संपर्क-सूत्रों वाला सामाजिक प्राणी है। संसार के घटना-सूत्रों, विकास क्रमों तथा अन्यान्य अनेकविध बातों से कटकर वह अकेला तो एक पल के लिए भी नहीं रह सकता। दूसरे लोगों, दूसरे ग्रामों, शहरों, प्रांतों और देशों के साथ हमेशा संपर्क बनाए रखने के लिए...
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July 1, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निबंध नंबर : 01 मनोरंजन के साधन Manoranjan Ke Sadhan मानव स्वभाव ही आनंद-मनोरंजन प्रिय है। यों भी सुखद और स्वस्थ जीवन जीने के लिए जिस प्रकार अन्न, पानी और हवा आवश्यक है, उसी प्रकार स्वस्थ मनोरंजन के लिए सुभ क्षण भी परामावश्यक है। मनुष्य कोल्हू का बैल बना रहकर स्वस्थ-सुखी जीवन नहीं जी सकता। तन की थकान मिटाने के लिए जिस प्रकार आराम और नींद आवश्यक है, उसी प्रकार...
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July 1, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
महाविद्यालय का पहला दिन Mahavidyalaya Ka Pahla Din जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तो महाविद्यालयों (कॉलेजों) में पढऩे वाले छात्रों को बड़ी उत्सुकता और गौर से देखा करता था। कई बार सोचता, वह दिन कब आएगा, जब मैं मनचाहे कपड़े पहन, किताबों के भारी बस्ते के बोझ से छुटकारा पाकर केवल हाथ लटकाए हुए ही महाविद्यालय में जाया करूंगा। वहां से आकर अपने छोटे बहन-भाइयों और स्कूल के जूनियर सहपाठियों...
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July 1, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साक्षरता क्यों आवश्यक है? Saksharta Kyo Avashyak Hai? आज शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। पूर्ण शिक्षा न भी सही, क्योंकि महंगी और विषम परिस्थितियों वाले युग में वह सभी के लिए शायद संभव भी नहीं, पर कम से कम साक्षर तो सभी हो ही समते हैं। अर्थात अक्षर-ज्ञान पाकर अपना काम तो सभी चला ही सकते हैं। इतना पढऩा-लिखना सीखना तो आज हर आदमी के लिए बहुत ही...
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July 1, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment