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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 212)
दक्षिण सूडान : एक नए देश का उदय दक्षिण सूडान के रूप में दुनिया का 193वां देश असितत्व में आ गया है | इसके लोगो के लिए तो यह अपार ख़ुशी का क्षण है कि वे आजाद हो गए है | नया देश बनने के बाद फिलहाल दक्षिण सुदान दुनिया के सबसे गरीब मुल्को में गिना जाएगा , लेकिन उसके लिए सतोष की बात यह है की सबसे ज्यादा तेल के...
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January 12, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
किसी फिल्म की समीक्षा ‘चक दे इंडिया’ की कहानी – कल ही मुझे ‘चक दे इंडिया’ फिल्म देखने का सुअवसर मिला | इसमें मुख्य भूमिका शाहरुख खान ने निभाई है | इसकी कहानी खेल-राजनीति, खेल-भावना, सांप्रदायिक तनाव और जनता की लचर प्रतिक्रिया पर प्रश्नचिह खड़े करती है | फिल्म की कहानी इस प्रकार है – नायक शाहरुख खान भारतीय हॉकी टीम का कप्तान है | वह मुसलमान पठान है...
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June 28, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का वर्णन कार्यक्रम के आयोजक – होली के अवसर पर मेरे नगर की संस्था संस्कार भारती ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया | मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध उद्योगता एंवं समाजसेवी श्री राकेश अग्रवाल को आमंत्रित किया गया था | कार्यक्रम में नगर के दो हज़ार लोग आमंत्रित थे | सभा-भवन रोशनी तथा रंग-बिरंगी झालरों से सुशोभित था | दीप-प्रज्वलन के बाद संस्कृतिक कार्यक्रम शुरू...
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June 28, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
काल्ह करै सो आज कर Kal Kare so Aaj kar निबन्ध नंबर :- 01 सूक्ति का स्पष्टीकरण – यह सूक्ति सुख कार्यों के बारे में कही गई है | इसका अर्थ है – सुभ कामों में देर नहीं करनी चाहिए | काम अच्छा हो तो उसे कल पर नहीं छोड़ना चाहिए | उसे तुरंत आरंभ कर देना चाहिए | सफलता का मंत्र – समय- नियोजन – सफलता-प्राप्ति का मूल...
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June 28, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
दैव-दैव आलसी पुकारा आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है – भाग्य आलसियों के सहारे जीवित रहता है | जो लोग परिश्रम करने में मन चुराते हैं, वही भाग्य का दामन थामने हैं | परिशमी लोग अपना भाग्य स्वयं बनाते हैं | वे कठोर परिश्रमकरके पाने लिए रोटी, कपड़ा, मकान जुटा लेतें हैं | जबकि आलसी लोग कहते हैं – ‘क्या करें’, हमारी किस्मत में यही बदा था |...
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June 28, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जहाँ चाह वहाँ राह Jaha Chaha Wahan Raha निबंध नंबर :-01 कहावत की भाव, चाह से तात्पर्य – ‘जहाँ चाह, वहाँ, राह’ एक कहावत है | इसका तात्पर्य है – जिसके मन में चाहत (इच्छा) होती है, उसके लिए वहाँ रास्ते अपने-आप बन जाया करते हैं | ‘चाह’ का अर्थ है – कुछ करने या पाने की तीव्र इच्छा | सफलता के लिए कर्म के प्रति रूचि और समर्पण...
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June 28, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages22 Comments
दया धर्म का मूल है तुलसीदास का दोहा – गोस्वामी तुलसीदास का प्रशिद्ध बचन है – दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान | तुलसी दया न छोड़िये जा घट तन में प्राण || इस कथन से स्पष्ट होता है कि धर्म का मूल है – दया या करुणा | दया भाव से हिम्नुश्य का मन द्रवित होता है | किसी दुखी को देखकर उसका दुश दूर करने की...
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June 27, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
संतोष का महत्व तृष्णा का दुःख – महात्मा गाँधी लिखते हैं – “यह वसुंधरा अपने सारे पुत्रों को धन-धन्य दे सकती है, किंतु ‘एक’ भी व्यक्ति की तृष्णा को पूरा नहीं कर सकती |” यह पंक्ति अत्यंत मार्मिक है | इसे पढ़कर यह रहस्य उद्घाटिल होता है कि मनुष्य का असंतोष उसकी समस्याओंका मूल है | उसकी प्यास कभी शांत नहीं होती | दुःख का कारण – वासनाएँ –...
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June 27, 2016 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment