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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 202)
रेगिस्तान की यात्रा या रेगिस्तान का सौंदर्य भारत में हिमालय भी है और रेगिस्तान भी, रेता के टीले भी भी हैं रेगिस्तान में। पानी को तरसता है रेगिस्तान। नदियों हैं नितांत अभा है वहां। मीलों तक जनहित प्रदेश वर्षों से सोया हुआ है। दिन में तपता रेगिस्तान रात में अत्यंत मधुर हो जाता है तपे हुए तीबे रात को ठंडे हो जाते हैं। नंगे पांव उन पर चलते हुए अदभुत सुकून...
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June 16, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अनेकता में एकता Unity in Diversity निबंध नंबर :01 भारत की संस्कृति विविधारूप है। भारत एक विशाल देश है। यहां अनेक धर्म और जातियों के लोग रहते हैं। सनातन धर्म, वैदिक धर्म, बौद्ध धर्म, और जैन धर्म, ईसाई, इस्लाम आदि अने धर्म हैं। और हूण, तुर्क, पठान, पुर्तगाली, फे्रंच, मुगल, अंग्रेज, डच, पारसी अनेक जाति के निवासी हैं। वहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, मठ, चर्च आदि पूजा-स्थल है। इसी प्रकार यहां विविध...
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June 16, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages5 Comments
स्वस्थ भारत या स्वास्थ्य ही जीवन है यदि हम स्वस्थ है तो हम एक साधारण भारत के नागरिक भी है। यदि हम अस्वस्थ है तो गरीब, अयोज्य और उपेक्षित भी है। किसी देश, जाति, समाज तथासंप्रदाय की उन्नति तभी संभव है, जबकि वे स्वस्थ और स्फूर्त है। संसार के इतिहास को उठाकर इस बात का अध्ययन करें कि कौन- सा देश कब उन्नतिशील, स्मृद्धिशील, सभ्य और सुसंकृत रहा, तो यह स्पष्ट...
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June 16, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रदूषण का प्रकोप Essay No. 01 प्रदूषण एक विश्वव्यापी समस्या है। इस समस्या में विश्व के सभी नगर त्रस्त हैं। विभिन्न कारणों से जल, वायु ध्वनि और मिट्टी का पारस्परिक संतुलन बिगडऩा ही प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने वाले तत्वों में विकास उत्पन्न होने के कारण प्रदूषण का जन्म होता है। वास्तव में मानव द्वारा औद्योगिक वैज्ञानिक चाहत ही प्रदूषण बढ़ाने में कार्यरत है। नगरों में तेजी से...
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June 16, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages5 Comments
पुस्तकालय का महत्व Pustakalya Ka Mahatav निबंध नंबर :01 सृष्टि के समस्त चराचरों में मनुश्य ही सर्वोत्कृष्ट कहलाने का गौरव प्राप्त करता है। मनुष्य ही चिंतन-मनन कर सकता है। अच्छे-बुरे का निर्णय कर सकता है तथा अपने छोटे से जीवन में बहुत कुछ सीखना चाहता है। उसी जिज्ञासावृत पुस्तकें शंात करती है अर्थात ज्ञान का भंडार पुस्तकों में समाहित है। ऐसा स्थान जहां अनेक पुस्तरों को संगृहीत करके उनका एक विशाल...
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June 13, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages6 Comments
देश प्रेम या स्वदेश प्रेम जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं वह हृदय नहीं है, पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यान नहीं। विश्व में ऐसा तो कोई अभागा ही होगा जिसे अपने देश से प्यार न हो। मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी अपने देश या घर से अधिक समय तक दूर नहीं रह पाते। सुबह-सवेरे पक्षी अपने घोसले से जाने कितनी दूर तक उड़ जाते हैं...
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June 13, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिमालय या पर्वतों का राजा : हिमालय ‘मेरे नगपति मेरे विशाल साकार दिव्य गौरव विराट पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल मेरी जननी के हिमकिरीट मेरे भारत के दिव्य भाल मेरे नगपति मेरे विशाल।’ उपर्युक्त पंक्तियों में राष्ट्रकवि दिनकर जी ने हिमालय की वंदना की है। हिमालय भारत का गौरत है। भारत प्रकृति नदि की क्रीड़ास्थली है और पर्वतराज देवात्मा हिमालय प्रकृति की उसी उज्जवलता का सारा रूप है। हिमालय भारत का गौरव...
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June 13, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
मेरा भारत महान हमारा प्यारा देश भारत अत्यंत प्राचीन संस्कृति वाला महान एंव सुंदर देश है। यह ऐसा पावन एंव गौरमय देश है जहां देवता भी जन्म लेने को लालायित रहते हैं। हम अपने इस देश को स्वर्ग से भी बढक़र मानते हैं। इस देश की प्रशंसा कविवर प्रसाद ने इन शब्दों में की है- ‘’अरुण यह मधमय देश हमारा जहां पहुंच अनजान शिक्षित को मिला एक सहारा।’ भारत देश संसार...
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June 13, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages9 Comments