Saccha Dharam, “सच्चा धर्म” Hindi motivational moral story of “Mahavir Prasad Dwivedi” for students of Class 8, 9, 10, 12.
सच्चा धर्म
Saccha Dharam
एक बार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अपने खेतों को देखकर गाँव वापस जा रहे थे कि उन्हें एक चीख सुनाई दी। एक अछूत स्त्री को साँप ने काट लिया था। द्विवेदी जी दौड़कर उसके पास गए और कुछ और न पाकर अपना जनेऊ तोड़कर स्त्री के पैर में सांप द्वारा काटे गए स्थान में थोड़ा ऊपर कस कर बांध दिया, फिर चाकू से उस स्थान पर चीरा लगा, ‘दूषित खून बाहर निकाल दिया, स्त्री की जान बच गई।
इतनी देर में वहां गाँव के कई पंडित और अन्य लोग इकट्ठा हो गए। पंडित आपस में ही बोले-“धर्म की नाव तो आज डूब गई, देखों तो इस महावीर को, ब्राह्मण होकर जनेऊ जैसी पवित्र वस्तु को एक अछूत स्त्री के पैर से छुआ दिया। अब कौन हम ब्राह्मणों का सम्मान करेगा। इन अछूतों और हम में फर्क ही क्या रह गया है। उनकी ऐसी बातें सुन द्विवेदी जी जोर से बोले, ” इस जनेऊ के कारण ही एक स्त्री की जान बची है। तुम्हें यह नहीं दिखाई देता। मैं खुश हूँ कि मेरा ब्राह्मण होना किसी के काम आ सका। आज से पहले इस जनेऊ की कीमत ही क्या थी? यह मुझ पर ब्राह्मण होने के ढोंग की तरह लिपटी रही थी। मैं शायद इसे उतार कर फेंक भी देता, परंतु आज इसने इस अछूत की जान बचाकर अपनी असली उपयोगिता साबित कर दी है।
अब मैं शायद ही कभी इस जनेऊ को उतारने का सवाल करूंगा। द्विवेदी जी की बातों का किसी के पास कोई जवाब नहीं था।