Nindak, “निंदक” Hindi motivational moral story of “Raja Vikramadiya” for students of Class 8, 9, 10, 12.
निंदक
Nindak
एक बार राजा विक्रमादित्य की सभा जुड़ी हुई थी। विद्वतजन, सामन्त और योद्धा सभी बैठे हुये थे। विक्रमादित्य के प्रसिद्ध नवरत्न भी बैठे थे। अचानक एक सामन्त के गाल पर एक मक्खी आ बैठी। उसने अपने गाल पर तमाचा माकर मक्खी को भगाना चाहा तो राजा का ध्यान भी उस ओर गया। उन्हें तब मालूम हुआ कि मामला एक मक्खी का है, तो वे बोले, “मक्खी तो इतना काटती नहीं, जितना बिच्छु।” इस पर यह बात चल पड़ी कि कौन अधिक काटता है ? राजा ने यह प्रश्न सभी सभासदों से पूछा। किसी ने कहा-“मधुमक्खी, किसी ने ततैया, किसी ने बिच्छु, किसी ने गोहरा, किसी ने सांप।” वररुचि चुप बैठे थे। राजा ने पूछा-” आप क्यों नहीं बोल रहे ? आपका क्या अभिमत है?” वररूचि ने कहा- “राजन ! इन सबसे गहराई से काटता है निंदक। जले-कटे या व्यंग्य भरे वचनों के डंक, इन सबके काटने से अधिक जहरीले होते हैं। “