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Naya Juta, “नया जूता” Hindi motivational moral story of “Mirza Ghalib” for students of Class 8, 9, 10, 12.
नया जूता
Naya Juta
एक दिन कोई साहब मिर्जा गालिब से मिलने उनके घर आए। थोड़ी देर बैठने के बाद जब वह जाने लगे तो मिर्जा हाथ में शमादान लेकर उन्हें पहुँचाने नीचे आये। नीचे पहुंचकर आगन्तुक सज्जन ने शिष्टतावश कहा-“आपने क्यों तकलीफ की? मैं अपना जूता खुद पहन लेता।”
मिर्जा गालिब ने अपने खास अंदाज में तुरन्त जवाब दिया- “मैं आपको जूता दिखाने के लिए शमादान नहीं लाया हूँ, बल्कि इसलिए लाया हूँ कि कहीं आप अंधेरे में मेरा नया जूता न पहन जाएँ।”