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Naam-Nath, “नाम-कथा” Hindi motivational moral story of “Sukumar” for students of Class 8, 9, 10, 12.
नाम-कथा
Naam-Nath
यशस्वी बंग्ला कथाकार सुकुमार ने प्रसिद्ध हिन्दी कवि विरेन्द्र मिश्र को छेड़ते हुए कहा, “प्राचीन काल में जो वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण थे, उन्हें वेदी कहा गया। जैसे द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी इत्यादि। जो पढ़ाते थे वे उपाध्याय, जो न पढ़ते थे और न पढ़ाते थे वे मिश्र कहलाए अर्थात् मिला-जुला कर काम चलाते थे।
विरेन्द्र मिश्र भी कहाँ चूकने वाले थे, उन्होंने चटर्जी महाशय को जवाब दिया, “पहले ब्राह्मण अपने इष्टदेव को पत्रिका या अर्जी लिखते थे। जैसे तुलसीदास ने विनय पत्रिका लिखी। इस तरह अर्जी लिखने वाले ‘बनर्जी’ मुख से कहने वाले ‘मुखर्जी’ और चट से कहने वाले ‘चटर्जी’ कहे जाने लगे।”