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Mere Bade Bhaii, “मेरे बड़े भाई” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.
मेरे बड़े भाई
Mere Bade Bhai
एक बार चीन यात्रा के दौरान गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की आम खाने की बहुत इच्छा हुई। मेहमानों ने आम मंगाये तो गुरूदेव बड़ी अभिलाषा से खाने बैठ गये। पर आमों में रेशे बहुत थे और उन्हें चाकू से काटकर खाना भी मुश्किल हो रहा था। गुरूदेव आमों की ढेरी के सामने करबद्ध नमस्कार कर बैठ गए। जब वहाँ उपस्थित लोगों ने उनसे पूछा-“गुरूदेव, यह आप क्या कर रहे हैं ?” गुरूदेव मुस्करा कर बोले-“मैं इन्हें नमस्कार कर रहा हूँ, इनके रेशे मेरी दाढ़ी के बालों से भी लम्बे हैं। एतएव ये आम नहीं मेरे बड़े भाई हैं।”