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Lata aur Mani, “लता और मणि” Hindi motivational moral story of “Hazari Prasad Dwivedi” for students of Class 8, 9, 10, 12.
लता और मणि
Lata aur Mani
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के उत्तर छायावादी काल के युग पुरुष थे। द्विवेदी जी के एक मित्र की पुत्री उनकी विद्यार्थी थी। एक दिन उसने द्विवेदी जी से पूछा, “हम लोगों के पाठ्यक्रम में पंडित रामचंद्र शुक्ल की ‘चिंतामणि’ तथा आपकी ‘कल्पलता’ दोनों हैं। ‘चिंतामणि’ बहुत कठिन लगती है और ‘कल्पलता’ सरस। ऐसा क्यों ?
आचार्य द्विवेदी बोले, ‘सीधी बात है, चिंतामणि मणि हैं यानी पत्थर और ‘कल्पलता’ लता है यानी कोमल पत्थर तो कठिन, कठोर होता है और लता कोमल और सरस।