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Kabra Se Bol Raha Hu, “कब्र से बोल रहा हूँ” Hindi motivational moral story of “Harivansh Rai Bachchan” for students of Class 8, 9, 10, 12.
कब्र से बोल रहा हूँ
Kabra Se Bol Raha Hu
कलकत्ता में एक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मंच पर उपस्थित कवियों में श्री नीरज तथा श्री हरिवंश राय बच्चन भी थे ! नीरज जी ने तो अपने काव्य पाठ से पूर्व भूमिका में कहा-“अब मैं बूढ़ा हो चला हूँ। मृत्यु की छाया का क्षीण आभास होता रहता है। इसी मनोदशा की एक कविता सुनिए, “एक पांव चल रहा अलग-अलग और दूसरा किसी के साथ है।”
संयोगवश उनके बाद बच्चन जी की बारी थी। नीरज जी की भूमिका के जवाब में बच्चन जी ने कहा- “यदि नीरज जी बूढ़े हो चले हैं, तो मैं कब्र में से बोल रहा हूँ। फिर उन्होंने सुनाया-” -“मैं गाता हूँ, इसीलिए जवानी मेरी है !”