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How I Spent my last Sunday “मैंने पिछला रविवार कैसे बिताया” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 10, 12 and Graduation and other classes.

मैंने पिछला रविवार कैसे बिताया

यदि काम ही काम करें और खेलें कूदें नहीं तो जीवन नीरस हो जाता है। पिछले रविवार हमारी कक्षा दिल्ली के चिड़ियाघर में गई। यह पुराने किले के पास मथुरा रोड पर है। हम चिड़ियाघर अपनी स्कूल की बस में गए। चिड़ियाघर में प्रवेश के लिए टिकट लगती है। दिन के 11.30 बज गए थे। हमने चिड़ियाघर में प्रवेश किया।

दिन बहुत खुशनुमा था। हमने विभिन्न प्रकार और आकारों के हिरण देखे। वे बड़े-बड़े पिंजरों में थे। वहाँ पर बत्तखें और राजहंस थे। वे खुशी से तैर रहे थे।

आगे हमने उनके घेरे में बन्दर देखे। वे भी विभिन्न आकार के थे। वे आने वालों की तरफ देख रहे थे। कुछ आराम कर रहे थे। कुछ आवाज़ें निकाल रहे थे और हमारी तरफ देख कर मुँह बना रहे थे। हममें कुछ ने उन्हें केले और मूँगफली दीं। उन्हें वे खाकर आनन्द आया। कुछ बन्दर आपस में झगड़ा कर रहे थे।

फिर हमने पूंछ के बिना बन्दर और वनमानुष देखे। वे आकार बहुत बड़े थे। हमने विभिन्न प्रकार की मछलियाँ तालाब में तैरती हुई देखीं। वह नाज़ारा बहुत मनोहारी था।

मछलियों से आगे शेरों के घेरे थे। वे इधर-उधर घूम रहे थे। वे बहुत भयानक लग रहे थे। उनमें कुछ आराम से धूप में बैठे हुए थे। उनमें से एक बड़े जोर से गरजा। यह बड़ी डरावनी गर्जन थी।

हम थक गए और भूख लग गई थी। हम एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए और अपना खाना जो हम साथ लाए थे खाया। लगभग आधे घण्टे के बाद हम उठ गए और आगे बढ़े। शेरों के घेरों के आगे हमने काले धब्बों वाले तेंदुए देखे। वे भद्दे और डरावने लग रहे थे। तब हमने लोमड़ियाँ, एक दरियाई घोड़ा, हाथी और विभिन्न प्रकार के पक्षी देखे। मोर अपने सुन्दर पंखों के साथ देखने में सबसे अच्छे लग रहे थे। हमने लकड़बग्गा, मगरमच्छ, जिराफ और चित्रगर्दभ देखे।

दिल्ली के चिड़ियाघर की सैर बहुत बढ़िया थी। हम बाहर आए और अपनी स्कूल बस पर सवार हो गए। स्कूल से हम अपने घरों को चले गए। यह एक यादगार के योग्य सैर थी।

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