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Hindi Moral Story, Essay “मन की शुद्धि” “Mann ki Shudhi” of “Saint Martinus” for students of Class 8, 9, 10, 12.

मन की शुद्धि

Mann ki Shudhi

एक युवक संसार से विरक्त हो फिलस्तीन के संत मरटिनियस के पास आया और बोला, “भगवन्! मैं आपकी सेवा में आ गया हूँ। कृपया मुझे आश्रय दें।”

संत बोले, “जाओ, पहले शुद्ध होकर आओ।” युवक स्नान करने गया। संत ने एक भंगिन को बुलाकर युवक के आने पर इस प्रकार झाड़ू लगाने को कहा, जिससे धूल युवक के शरीर पर उड़े। भंगिन ने वैसा ही किया। इस पर युवक उसे मारने दौड़ा, तो वह भाग गई। संत ने युवक को फिर से शुद्ध होकर आने को कहा। युवक के जाने पर संत ने भंगिन को युवक को छूने के लिए कहा।

युवक स्नान करके आया, तो भंगिन ने झाड़ते-झाड़ते उसे छू दिया।

युवक को गुस्सा आया। मगर उसने मारा तो नहीं, भंगिन को खूब गालियाँ दीं। संत ने फिर शुद्ध होकर आने को कहा। इस बार संत ने भंगिन को युवक पर कूड़ा डालने के लिए कहा।

युवक जब नहाकर आया, तो भंगिन ने उस पर कूड़े की पूरी टोकरी उलट दी। किन्तु इस बार युवक बिलकुल शांत रहा, बल्कि वह भगिन को प्रणाम करके बोला, “देवी! तुम मेरी गुरु हो । यह तुम्हारी कृपा थी कि मुझे अपने अहंकार और क्रोध का भान हो गया और मैं उन्हें अपने वश में कर सका।”

तब मरटिनियस युवक से बोले, “अब स्नान करके आओ, क्योंकि तब तुम पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाओगे। अब तुम मेरे साथ रह सकते हो ।”

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