Hindi Moral Story, Essay “बुरा जो देखन मैं चला” “Bura jo dekhan mein chala ” of “Sheikh Saadi” for students of Class 8, 9, 10, 12.
बुरा जो देखन मैं चला
Bura jo dekhan mein chala
शेख सादी बचपन में पढ़ने में बड़े तेज थे और कक्षा में उनका हमेशा पहला नंबर रहता था। एक दिन उन्होंने अपने शिक्षक से शिकायत की, “उस्तादजी! मेरा जमाती मुझसे जलता है। जब मैं ‘हदीस’ के मुश्किल शब्दों का आसान मतलब निकालता हूँ, तो वह मुझसे जल जाता है। अगर उसकी यही हालत रही, तो सचमुच उसे नरक ही मिलेगा।”
उस्ताद ने सुना तो बोले, “तेरा दोस्त तुझसे जलता है, इसलिए तू उस पर उँगली उठता है, मगर तू अपनी तरफ क्यों नहीं देखता कि तू भी उससे जलने लगा है। पीठ पीछे किसी की निंदा करना तेरी नजर में क्या अच्छा काम है? अगर कमीनेपन से तेरे दोस्त ने नरक का रास्ता अपनाया है, तो चुगलखोरी करके तू भी तो उसी रास्ते पर जा रहा है। पहले खुदा का ख्याल कर कि कहीं तू भी तो कोई बुराई नहीं कर रहा है। अगर तू ऐसा करेगा, तो तुझे मालूम हो जाएगा कि तू भी बुराई करता रहता है।”
और बालक सादी को अपनी गलती महसूस हो गई ।