Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Pustkalaya ke Labh ”, “पुस्तकालय के लाभ” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
पुस्तकालय के लाभ
Pustkalaya ke Labh
पुस्तकालय यानि सरस्वती माता का अध्ययन मंदिर। यहाँ पर आराधना करके आराधक वीणापाणि सरस्वती माँ का प्रत्यक्ष दर्शन करते हैं। माँ के आर्शीवाद से अज्ञानता रूपी अंधकार दूर होता है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि पस्तकालय व्यक्ति को महान् बनाने का एक उत्तम साधन है। विद्यालयों में छात्र को जो ज्ञान दिया जाता है, उसका विकास पुस्तकालयों के माध्यम से ही होता है।
पुस्तकालय महान पुरुषों की साधना भूमि रही है। यही एक ऐसी जगह है जहाँ हमें उनके बारे में संपूर्ण जानकारी मिल सकती है। पुस्तकालय की शोभा बढ़ाती हैं। पुस्तकें । पुस्तकों में वह शक्ति होती है कि जहाँ कहीं भी वे होंगी, वहाँ अपने आप स्वर्ग जैसा वातावरण बन जाएगा।
पुस्तकालय भी विभिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ पुस्तकालय जन साधारण के उपयोग के लिए होते हैं, कुछ व्यक्ति-विशेष के उपयोग के लिए। इस दृष्टि से हम पुस्तकालयों को मुख्यतः चार भागों में विभाजित कर सकते हैं – व्यक्तिगत पुस्तकालय, विद्यालयों के पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय और सरकारी पुस्तकालय।
पुस्तकालय ज्ञान का वह भव्य मंदिर होता है, जहाँ बैठकर हम ज्ञान और बुद्धि का विकास कर पाते हैं। अध्ययन-कक्ष में शिक्षक पथ-प्रदर्शन तो करते हैं पर पुस्तकालय की पुस्तकें हमारा मार्गदर्शन करती हैं। बिना पुस्तकालय के ज्ञान का विकास संभव ही नहीं है।
पुस्तकें हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए अनुभवों पर आधारित होती हैं। यही पुस्तकें हमारे अपने देश की संस्कृति, सभ्यता से हमें आवगत कराती हैं।
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है बालक का सर्वांगीण विकास। पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकें केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए उपयुक्त होती हैं साथ ही हमें अपने ज्ञान के विकास के लिए अन्य पुस्तकों का अध्ययन भी करना पड़ता है। पुस्तकालय में संग्रहीत विभिन्न प्रकार की पुस्तकें छात्र एवं अध्यापक दोनों के ज्ञान के विकास में अपना अपना योग देती हैं।
विद्यालयों में होने वाली विभिन्न शैक्षिक प्रतियोगिताएँ जैसे कि वाद-विवाद, कविता लेखन, निबंध लेखन, कहानी लेखन आदि में भी पुस्तकालय की पुस्तकें अपना भरपूर सहयोग तो देती ही हैं साथ ही साथ अध्ययनकर्ता का ज्ञान भी बढ़ाती |
छात्र अपने अवकाश का लाभ सदुपयोग में करने के लिए अपने शैक्षिक संस्थानों के पुस्तकालय में पुस्तकों का अवलोकन कर सकते हैं क्यों कि खाली मस्तिष्क शैतान का घर होता है। पुस्तकालय की सामग्री उस खाली मष्तिष्क को भर देती है। जिससे उसके अवकाश का भरपूर लाभ वह उठा सकता है।
पुस्तकालय की पुस्तकों का लाभ केवल छात्र ही नहीं अपितु अध्यापकगण भी उठाते हैं। वे भी अपने बौद्धिक विकास के लिए पुस्तकालयों से सहायता लेते हैं।
पुस्तकालय से व्यक्ति को तो लाभ होता ही है, साथ ही संपूर्ण समाज भी उसके माध्यम से लाभ उठाता है। प्रत्येक समाज एवं राष्ट्र एक दूसरे से ज्ञान का आदान प्रदान करता रहता है, जिससे वह नवीनतम जानकारी प्राप्त कर सके, पुस्तकें इस रूप में भी काफी उपयोगी साबित होती हैं। हम किसी भी देश की संस्कृति को जानने के लिए उस देश की संस्कृति की जानकारी देने वाली पुस्तक का अध्ययन कर प्राप्त कर सकते हैं।पुस्तकालय से ज्ञान संचित कर हम जनता के बीच नवजागरण का मंत्र फेंक सकते हैं।
भारतीय बाजार का सर्वेक्षण देखें तो हम कह सकते हैं कि भारत में शिक्षा प्रसार के साथ साथ पुस्तक प्रेमियों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है। स्कूलकॉलेजों में भी छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। फिर भी हमारे भारत में पुस्तकालय की कमी है।
हमारी सरकार एवं स्थानीय संस्थाओं का यः कर्तव्य है कि वे गांवों में पुस्तकालयों की स्थापना करें। सरकार इस ओर कदम उठा भी रही है जगह जगह पर हम मोबाइल लाइब्रेरी देख सकते हैं।
हम यह निःसंकोच कह सकते हैं कि पुस्तकालय मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है। देश के अतीत और उसके वर्तमान का अध्ययन हम पुस्तकों द्वारा ही संभव कर सकते हैं। किसी एक व्यक्ति का यह सामर्थ्य नहीं कि वह समस्त पुस्तकों का क्रय सिर्फ अपनी ज्ञान-पिपासा को शान्त करने के लिए करे। हमारा कर्तव्य है कि हम सब पुस्तकालयों के निर्माण में अपना अपना सहयोग दें।