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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vyayam ke Labh”, ” व्यायाम से लाभ” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

 व्यायाम से लाभ

Vyayam ke Labh

 

जिस प्रकार किसी यंत्र को सुचारु रूप से दीर्घ काल तक चलाते के लिए उसमें चिकनाई या तेल डालने की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार इस शरीर रूपी यंत्र को दीर्घायुतक बिना किसी कठिनाई के चलाने के लिए व्यायाम रूपी तेल की आवश्यकता होती है।

व्यायाम करने से पसीना आता है। यह पसीना शरीर की गंदगी को बाहर निकालता हैं। साँस तेजी से चलने लगती है। फेफड़ों की गन्दगी वायु के साथ शरीर से बाहर आ जाती है। श्वसन तंत्र स्वच्छ हो जाता है। शरीर में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। यह रक्त को शुद्ध करता है। शरीर में स्फूर्ति बढ़ाता है। शरीर स्वस्थ रहने से काम में मन लगता है जीवन में आनन्द प्राप्त होता है। शरीर निरोग रहता

व्यायाम कई प्रकार के होते हैं। कुश्ती लड़ना, दण्ड बैठक लगाना, दौड़ना, टहलना, खेलना, घोड़े की सवारी करना, तैरना इत्यादि – व्यायाम के प्रकार हैं। इनमें योगासनों को भी सम्मिलित किया जाता है। इनमें से कुछ व्यायाम तो केवल अंग विशेषों को ही सुदृढ़ बनाते हैं – जैसे दण्ड बैठक और कुश्ती लड़ना। ये व्यायाम हाथ और परा को ही सुदृढ़ बनाते हैं। अन्य अंगों के सुधार में इनका योग नहीं होता। प्रत्येक अंग के लिए अलग व्यायामों का भी प्रावधान है। कोई भी व्यायाम नियमित रूप से करना लाभदायक होता है।

व्यायाम प्रारंभ करके उसे कुछ दिन बाद छोड दिया जाए तो इससे लाभ कम होता है। इसके विपरीत व्यायाम छोड़ देने से अंगों के जोडों में दर्द होने लगता है। यह दर्द तो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। पर शरीर में सुस्ती आने लगती है। काम में मन नहीं लगता। बेचैनी सी बनी रहती है। व्यायाम में अति करना भी हानिकारक है। कोई भी व्यायाम उतना ही किया जाना चाहिए जितना शरीर सहन कर सके। उससे अधिक व्यायाम रोगों को जन्म देता है। हां क्रम क्रम से व्यायाम का समय बढ़ा कर उसे एक सीमा तक ले जाया जा सकता है। व्यायाम के लिए प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम होता है। व्यायाम करके कुछ समय तक आराम करना चाहिए। शरीर की गर्मी व थकावट दूर होते ही स्नान करके शरीर को स्वच्छ कपड़े से पौंछ लेना चाहिए। इससे पसीने द्वारा शरीर के अन्दर से लाया गया मल शरीर से हट जाता है। पसीना बाहर लाने वाले रंध्र शुद्ध हो जाते हैं।

पाठशालाओं में भी शारीरिक शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। वहाँ शारीरिक व्यायाम सामूहिक रूप से कराया जाता है। इनमें सभी अंगों का व्यायाम कराने के अनेक अभ्यास होते हैं। शरीर में गर्मी लाने से प्रारंभ करके सिर, कंधे, हाथ, पैर, कमर आदि के जोड़ों को प्रभावित करने वाले अभ्यास कराए जाते हैं। लगभग आधा घंटा या पैंतालीस मिनट के इन अभ्यासों से शरीर के सभी अंगों को व्यायाम मिल जाता है।

इस शारीरिक शिक्षा के व्यायाम से शरीर में स्फूर्ति आती है। हम किसी भी काम को मन लगाकर कर सकते हैं। हमारा शरीर निरोग एवं हृष्ट पुष्ट होता है। कहते हैं कि स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। विद्यार्जन में स्वस्थ मस्तिष्क ही सहायक होता है। अतएव विद्यार्थियों को नियमित रूप से उचित व्यायाम करते रहना चाहिए।

व्यायाम करने से चिड़चिड़ापन नहीं रहता। विद्यार्थी अपना पाठ मन लगाकर पढ़ते हैं। कक्षा में उनकी प्रगति सन्तोष जनक रहती है। विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने की उनकी इच्छाशाक्ति में विकास होता है। व्यायाम सभी के लिए आवश्यक है। उचित व्यायाम उचित मात्रा में सभी को नियमित रूप से करते रहना चाहिए। ऐसा करने से शरीर स्वस्थ और निरोग बना रहेगा।

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