Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vigyan aur Chalchitra ”, ”विज्ञान और चलचित्र” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
विज्ञान और चलचित्र
Vigyan aur Chalchitra
विगत आठ दशकों में विज्ञान के जिन आविष्कारों ने मानव जीवन में सुख एवं समद्धि की लहर उत्पन्न की, उनमे चलचित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हमारा मस्तिष्क एवं रहन-सहन इसके प्रभाव से वचित न रह सका। वास्तविकता तो यह है कि आज के प्राणी को इस आविष्कार ने बिल्कुल ही बदल डाला है।
चलचित्र का आविष्कार छाया चित्रण की कला के क्रमिक विकास से हुआ है। दिन टिन छाया चित्रों की बढ़ोतरी पर इन चित्रों को किसी यंत्र के माध्यम से श्वेत पट कम से फेंकने और इस प्रकार उन्हें दिखाने की बात वैज्ञानिकों के मन में घसी. सफलता सारण छए अमेरिकी वैज्ञानिक एडीसन के और चित्रपट का आविष्कार हुआ। इसके बाद मत रूप में अनेक कथाओं के चित्रों को क्रम से संजो कर पर्दे पर एक नाटक की भाँति दिखाया जाने लगा। उस समय उन्हें मूक चित्रों का नाम दिया गया। कुछ समय बाद इसमें स्वर देने की योजना बनायी गई। तब से इन्हें वाणी चित्र कहा जाने लगा। हमारे देश में इसका प्रचलन प्रथम महायुद्ध के कुछ समय पूर्व ही हुआ था।
आज चलचित्र प्रगति पर है। इन्हें दिखाने के लिए आधुनिकतम प्रसाधनों से युक्त सुन्दर छवि गृहों का निर्माण हो चका है। इन में दर्शक आराम से बैठ कर इनका आनन्द लते है। इनके सामने एक बड़े श्वेत पट पर छवि गृह के पिछले हिस्से से निक्षेपक यंत्र द्वारा छोटे-छोटे चित्रों को बड़े आकार में उभारा जाता है और इस तरह जीती जागती तस्वीर दर्शकों के सामने आती है। स्वर ध्वनि का प्रबन्ध भी उसी अवस्था से किया जाता है।
चलचित्र इस वैज्ञानिक युग में मनोविनोद का उत्तम और सस्ता साधन है। इसके वारा ढाई-तीन घंटे में मनोरंजन की इतनी सामग्री मिल जाती है जो अन्य किसी उपाय स सम्भव नहीं। आज यह शिक्षा के प्रसार का भी माध्यम बन चुका है। इसके द्वारा निरक्षर का साक्षर किया जा रहा है। भारतीय जन-जन को अनेक विषम समस्याओं से अवगत कराने के लिए देश-विदेश की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए आजकल इसका सहारा लिया जा रहा है। क्योंकि इसका प्रभाव स्थायी व व्यापक होता है। साहित्य के क्षेत्र इसकी सबसे बडी प्रतियोगिता नाटकों के माध्यम से हुई है। इसके प्रसार न नाट्य कम्पनियों का बिस्तर गोल कर दिया।
चलचित्रों में भारत तीसरे स्थान पर है। प्रथम स्थान हालीवुड और द्वितीय स्थान जापान का है। वास्तविकता तो यह है कि इनके द्वारा किसी देश की संस्कृति, सभ्यता, सामाजिक परिस्थितियाँ और समय-समय पर होने वाली क्रांतियों का दिग्दर्शन होता रहता है। अतः हालीवुड में निर्मित चलचित्रों के कथानक प्रेम एवं मारधाड़ पर ही आधारित हैं। जापान के निर्मित चित्र वहाँ के पारम्परिक सौंदर्य एवं संस्कृति के ही दर्शन कराते हैं।
चलचित्र भी दूसरी वस्तुओं के समान ही अच्छाई और बुराई दोनों से घिरा हुआ है। अश्लील चित्रों के द्वारा समाज में ऐश्वर्य की भावना बढ़ती है। युवा वर्ग पथभ्रष्टा जाता है। अपराधिक गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। चोरी, डकैती, जुआ, नशे आदि की जा आदतें भी इसी से लग जाती हैं। धन और समय का दुरुपयोग होता है। इस पर भी टर फैशन का जन्मदाता कहा जाए तो कोई अत्यक्ति न होगी।
चलचित्र आज सौंदर्य की भावना की संतुष्टि और हृदय के कोमल स्थलों को स्पर्श करने में अद्वितीय है। आदर्शवादी चलचित्रों द्वारा हमें ऊँचा उठने की प्रेरणा भी मिलती । है। हम इनके माध्यम से पूर्वजों की सभ्यता व संस्कृति को यथाशीघ्र ही हृदयंगम कर सकते हैं। युद्धों की विभीषिकाओं से युक्त कथानक वाले चलचित्रों से युद्धो के विरुद्ध और शांति की ओर जनमत पैदा हुआ है। डॉक्यूमेंट्री चित्रों द्वारा देश की प्रगति दर्शायी जाती है। इसके अलावा व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी इसका कम महत्त्व नहीं है। लाखों लोगों की बेकारी इससे दूर होती है। प्रचारकों और विज्ञानदाताओं के लिए उनकी सफलता के लिए यह सर्वोत्तम साधन है।
गुण और दोष का संगम होते हुए भी चलचित्र आज हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अंग बन चुका है। यदि धन अर्जन के मोह को त्याग कर चलचित्रों का निर्माण किया जाए, तो वह दिन दूर नहीं जबकि सम्पूर्ण राष्ट्र इस व्यवसाय से उज्ज्वल होगा।