Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Television ke Labh aur Haniya”, “टेलीविज़न के लाभ और हानियाँ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
टेलीविज़न के लाभ और हानियाँ
Television ke Labh aur Haniya
निबंध नंबर :- 01
वर्तमान युग में दूरदर्शन घर-परिवार का एक अनिवार्य अंग बन चुका है। उच्च वर्ग तथा मध्य वर्ग के लोगों के अतिरिक्त निम्न वर्ग के लोग भी दूरदर्शन के बिना नही रह सकते। दूरदर्शन का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव लक्षित होता है।
वर्तमान युग में दूरदर्शन सभी लोगों के आकर्षक का केन्द्र है। घर के बडे़-बूढ़े लोग आजकल दूरदर्शन पर फिल्में तथा अन्य कार्यक्रम देखकर समय व्यतीत करते हैं। दूरदर्शन पर दहेज विरोधी ऐसी फिल्में तथा अन्य प्रकार की सामाजिक टेली फिल्में प्रदर्शित होती रहती हैं जिन्हें देखकर अनेक लोगों के विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। घरों में पति-पत्नी भी व्यर्थ की नोंक-झोंक छोड़कर फुर्सत के समय अपने मनपसंद के कार्यक्रम देखते रहते हैं। बडों को बच्चों से तथा बच्चों को बडों़ से कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसे टी.वी. पर प्रदर्शित अनेक कार्यक्रमों में देखा जा सकता है। दूरदर्शन पर विभिन्न प्रकार के विज्ञापन भी प्रदर्शित होते हैं। इनका भी सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कम आय वाले लोगों के मन में विलासिता की चीजें लेने की उमंग उठती है जिसका परिवारिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
दूरदर्शन का पारिवारिक जीवन पर दुष्प्रभाव कहीं अधिक मात्रा में दिखाई पड़ता है। अधिकांश घरों के सदस्य आपस में बातचीत कम करते हैं तथा दूरदर्शन के कार्यक्रम अधिक देखते हैं। दूरदर्शन का विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दूरदर्शन के कारण अधिकांश परिवार अतिथि-सत्कार की भरतीय परंपरा को भूलते जा रहे हैं। टी.वी. पर मनपसन्द कार्यक्रम आ रहा हो और ऐसे समय में कोई अतिथि आ जाए तो वह स्वयं को उपेक्षित अनुभर करता है। ’केबल’ टी.वी. की कृपा से आजकल सारा दिन विभिन्न चैनलों पर कार्यक्रम प्रदर्शित होते रहते हैं। विदेशी कार्यक्रमों में हिंसा और सेक्स के दृश्य बहुत अधिक मात्रा में दिखाए जाते हैं।
वर्तमान समय में दूरदर्शन का प्रयोग निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। दूरदर्शन लोकप्रियता की चरम सीमा को छूता प्रतीत होता है। दूरदर्शन के कार्यक्रम जन-जन में लोकप्रिय हो रहे हैं। वर्तमान समय में दूरदर्शन की लोकप्रियता चरम सीमा पर है। अब तो इसकी घुसपैठ प्रत्येक परिवार में हो चुकी है। शहरों के साथ-साथ इसके कार्यक्रम गाँव में भी अत्यंत रूचि के साथ देखे जाते हैं। इतने लोकप्रिय माध्यम का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है। दूरदर्शन के साथ जब से केबल संस्कृति जुड़ी है तबसे इसके कार्यक्रमों में विविधता एवं नवीनता की बाढ़ आ गई है। अब 100 चैनल तक देखे जा सकते हैं। आप अपना मनचाहा कार्यक्रम देखने को स्वतंत्र हैं इससे दूरदर्शन की पहुँच दूर-दूर तक होती चली गई है।
दूरदर्शन का प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसने हमारे पारिवारिक जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव डाले हैं। इससे हमारे मनोरंजन का पक्ष अत्यंत सुदृढ़ हुआ है। दूरदर्शन पर अनेक प्रकार के रोचक कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। इनमें अपनी रूचि के कार्यक्रम चुनकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। फीचर फिल्मों के अतिरिक्त टेली फिल्में, धारावाहिक, चित्रहार, चित्रगीत, संगीत-नाटक, कवि-सम्मेलन, खेल-जगत आदि से हमारा पर्याप्त मनोंरंजन होता है।
दूरदर्शन शिक्षा का भी सशक्त माध्यम बन गया है। इस पर औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। इस पर स्कुली विद्यार्थियों के लिए नियमित पाठों का प्रसारण किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए कृषि-दर्शन, अनपढा़ के लिए साक्षरता के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। इस प्रकार घर बैठे ही सभी को ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखने को मिल जाते हैं। दूरदर्शन के माध्यम से परिवार के प्रयोग में आने वाले नवीनतम उत्पदों की जानकारी पूरे विवरण के साथ घर बैठे ही मिल जाती है। दूरदर्शन की सामग्री अधिक ग्राह्म एवं स्पष्ट प्रभाव डालने वाली होती है। इसका प्रभाव अधिक व्यापक होता है। अतः इस बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
टी.वी. पर विविध धारावाहिक प्रसारित हो रहे हैं। इनको देखना हमारा एक नियम सा बन गया है। अब तो टी.वी. के बिना जीवन सूना-सूना प्रतीत होता है। यह एक पारिवारिक जरूरत बनकर रह गया है।
निबंध नंबर :- 02
टेलीविजन के लाभ और हानियाँ
Television ke Labh aur Haniya
टेलीविजन-दर्शन मनोरंजन का एक अद्भुत साधन है। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी घर बैठे – एक साथ अपना मनोरंजन टेलीविजन-दर्शन से कर लेते हैं। एक व्यक्ति दिन-भर के काम से जब बेहद थक जाता है तो वह अपने कमरे में जाकर टी.वी. सैट खोल देता है और संगीत व नृत्य में डूब जाता है या समाचार व टिप्पणियों के माध्यम से अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि करता है। इस प्रकार टेलीविजन-दर्शन से प्रशिक्षण व मनोरंजन दोनों की प्राप्ति होती है।
टेलीविजन कार्यक्रमों की शुरुआत भारत में लगभग तीन दशक पहले हुई है, इसलिये देश में टेलीविजन का विस्तार अभी पूरी तरह नहीं हो पाया है। वैसे प्रयत्न लगातार चल रहे हैं और काफी सफलता भी मिल चुकी है। आम जनता टेलीविजन कार्यक्रम टेलि-क्लबों में देखती है और बच्चे स्कूल में टी.वी. सैट पर अपना पाठ कानों से सुनने के साथ-साथ आंखों से देखते भी हैं। इस प्रकार वे उन पाठों को बहुत अच्छी तरह समझ जाते हैं।
टी.वी. कार्यक्रम स्कूलों में बहुत लोकप्रिय हो चुके हैं। एक योग्य शिक्षक हजारों विद्यार्थियों को एक साथ सम्बोधित करता है और इस प्रकार रोचक ढंग से पाठ भी पढ़ाता है। प्रयोगशाला में प्रायोगिक कार्य करके दिखाए जाते हैं और उनसे विज्ञान के छात्र लाभान्वित होते हैं। कुछ पाठ ऐसे होते हैं जिन्हें स्कूल की कक्षा में नहीं पढ़ाया जा सकता, किन्तु टी.वी. के माध्यम से बहुत प्रभावोत्पादक बन जाते हैं और विद्यार्थी उन्हें सुगमता तथा सफलता से ग्रहण कर लेते हैं। टी.वी. पर पढ़ाए जाने वाले पाठ विद्यार्थियों को निर्देश भी देते हैं और मनोरंजन भी प्रदान करते हैं। कभी-कभी टी.वी. पर बच्चों को कुछ फिल्में भी दिखाई जाती हैं जो उनकी पढ़ाई की दृष्टि से उपयोगी होती हैं। ऐसी फिल्मों का भी दुहरा प्रभाव होता है – शिक्षण का और मनोरंजन का।
भारत के महानगरों में बहुत बड़ी संख्या में टेलि-क्लब हैं जहां बच्चे और बड़े सम्मिलित रूप से टी.वी. पर फिल्म सम्बन्धी और सामान्य कार्यक्रम देखते हैं। प्रायः पुरुषों के मनोरंजन के लिए वयस्क रुचि के ऐसे कार्यक्रम का चुनाव किया जाता है, जो बच्चों के लिए भी समान रूप से रोचक और साथ-साथ उपयोगी भी हों। इन मनोरंजक कार्यक्रमों में नैतिक शिक्षा, नृत्य-गान, नाटक, चित्र व विभिन्न विषयों पर वार्ताओं आदि को लिया जाता है। काफी बड़ी संख्या में लोग इन कार्यक्रमों को देखते हैं।
टी.वी. सैटों की कीमतें अब पहले से बहुत कम हो गई हैं। औसत आदमी की आय के हिसाब से टी.वी. सैट की कीमतें भी गिर गई हैं। यही नहीं, गरीब और वेतनभोगी लोग आसान किस्तों पर भी टी.वी. सैट खरीद सकते हैं, इसीलिए धीरे-धीरे प्रायः हर दूसरे-तीसरे घर में टी.वी. सैट झलक जाता है और बच्चे उन्हें घेरे बैठे होते हैं।
शिक्षा-प्रधान फिल्मों तथा अन्य कार्यक्रमों से लोगों का मनोरंजन होता है। अब उन्हें फिल्म देखने के लिये सिनेमा हॉलों की लम्बी दूरियां नहीं तय करनी होती। वह अब पहले की तरह आवश्यक नहीं हैं। आगे सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों की संख्या और भी कम होती जाएगी।
सभी महत्त्वपूर्ण त्योहारों तथा राष्ट्रीय महत्त्व के दिनों पर टी.वी. पर ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जो रोचक और जनोपयोगी होने के साथ-साथ उस अवसर विशेष से किसी-न-किसी रूप में सम्बन्धित हों, इसलिये 15 अगस्त व 26 जनवरी की झांकियां व इण्डिया गेट की परेड टी.वी. पर देखने को मिल जाती है। टेलीविजन प्रणाली आज पूरे विश्व में फैली हुई है। रेडियो व टेलीविजन के कार्यक्रमों की प्रसार-क्षमता को बढ़ाने के लिये संचार उपग्रहों का प्रयोग किया जा रहा है। भारत भी अपनी टेलीविजन प्रणाली को और अधिक विकसित करने के प्रयास कर रहा है। अधिक से अधिक लोगों तक टेलीविजन को पहुंचाने के इरादे से कई एक जगहों पर नए स्टूडियो खोले जा रहे हैं। 15 अगस्त, 1993 को दूरदर्शन के पांच नए चैनलों का शुभारंभ किया गया। 14 मार्च, 1995 से दूरदर्शन के अन्तर्राष्ट्रीय चैनल का प्रसारण आरम्भ हुआ।
टेलीविजन कार्यक्रम हमें वह सब कुछ उपलब्ध कराते हैं, जिसकी हमें जरूरत है। इनसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है, शिक्षा मिलती है, मनोरंजन होता है तथा और भी बहुत से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष फायदे होते हैं। इसलिये धीरे-धीरे पूरे देश में टी.वी. की लोकप्रियता बढ़ती ही चली जा रही है।
Hlo thank you😀