Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Shiksha me Khel-kud aur Vyavam ”, “शिक्षा में खेल कूद और व्यायाम” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
शिक्षा में खेल कूद और व्यायाम
Shiksha me Khel-kud aur Vyavam
अगर हमें समृद्ध राष्ट्र बनाना है तो हमें उसके लिए एक स्वस्थ्य नींव तैयार करनी पड़ेगी। साथ ही यह भी सच है कि स्वस्थ्य मानव के लिए केवल मस्तिष्क का विकास ही काफी नहीं है, साथ ही साथ उसे अपने शरीर के विकास की भी आवश्यकता है जोकि केवल खेल कूद और व्यायाम के माध्यम से ही हो सकती है।
अगर हम चाहते हैं कि आने वाले समय में हमारा राष्ट्र मजबूत व शक्तिशाली हो तो इसके लिए हमें अभी से मेहनत करनी पड़ेगी और हमारे युवाओं में पढ़ाई के साथ साथ उन्हें खेल-कूद व व्यायाम की उपयोगिता भी बतलाते हुए उन्हें भावी समय के लिए जागरूक करना पड़ेगा।
शिक्षा का मानव जीवन में जितना महत्व है, उतना ही खेल-कूद व व्यायाम का भी है। हम यह कह सकते हैं कि बिना शारीरिक शिक्षा के हमारी शिक्षा अनुपयोगी है। केवल रात दिन किताबों में दृष्टि गढ़ाए रखने से विद्यार्थी जीवन सफल नहीं हो सकता है। शक्ति के अभाव में अन्य सभी गुण व्यर्थ हैं।
जो क्रिया हमारे शरीर को ओजस्वी, पुष्ट, मजबूत एव मन को प्रसन्न बनाते हैं उसे हम खेलकूद कह सकते हैं। जिस क्रिया से हमारे अंदर फूर्तिला पन रहे उसे हम व्यायाम कह सकते हैं। जिस तरह खेलों के कई प्रकार होते हैं उसी प्रकार व्यायामों के भी कई प्रकार होते हैं। जिन्हें अपनाने से हमारे शरीर में रक्त संचार होता है और जिससे हमारे शरीर को मजबूती मिलती है।
शिक्षा जिस प्रकार मानव को ज्ञानी बनाती है, खेल-कूद व व्यायाम उसे शक्ति देते हैं कि वह ज्ञानी बन सके। किसी महापुरुष ने सच ही कहा है कि अगर इंसान का पैसा लुट जाए तो कोई बात नहीं वह पुनः कमा लेगा मगर अगर उसके स्वास्थ्य में या फिर ज्ञान में कोई कमी रह जाए तो यह सोचने का विषय है।
स्वस्थ्य शरीर ही मन का आधार होता है, इस संबंध में एक कहावत भी प्रसिद्ध हुई है- तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ्य। अगर कमजोर व्यक्ति होगा तो वह क्या खाक़ पढ़ेगा।
शरीर के स्वस्थ होने पर ही मन भी स्वस्थ व विस्तार से ज्ञान ग्रहण करने के लायक बन सकता है।
हाल ही के सर्वेक्षण में देखा गया है कि शरीर से कमजोर व्यक्तिकई रोगों से ग्रस्त होने के साथ साथ मानसिक रूप से चिड़चिड़े भी होते हैं। जो भी पढ़ते या याद करते हैं शीघ्र ही भूल भी जाते हैं। अतः वह शिक्षा में पीछे रह जाते हैं।
खेल-कूद व व्यायाम एक प्रकार के हैल्थ कैप्सूल हैं।
किसी अंग्रेज ने सच ही कहा था कि – धन लूटे तो कुछ हुआ पर स्वस्थ बिगड़े तो बहुत कुछ हुआ।
देखा गया है कि घर में अक्सर शतरंज, कैरम, लूडो आदि खेल मानसिक तौर पर लाभदायक होते हैं। वहीं अगर हम सुबह सुबह उठ कर एक आदव्यायाम भी कर ले तो सोने पे सुहागा।
तरह तरह के खेल भी व्यायाम के ही अंतर्गत आ जाते हैं। अगर किसी भी व्यायाम के बाद शरीर पर तेल की मालिश कर ली जाए तो अच्छे स्वस्थ के हम धनी बन जाएंगे।
आलस्य मनुष्य के शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन है। जो कि मनुष्य को कमजोर बना देता है। बुद्धि मंद कर डालता है। व्यायाम से मनुष्य अपने आलस को दूर कर कुछ देर विश्राम करके कोई भी खेल खेल कर अपने आप का मनोरंजन कर सकता |
आधुनिकता के इस जीवन में शिक्षा के साथ साथ खेल व व्यायाम के महत्व को स्वीकार कर लिया गया है। स्कूल, कॉलेज एवं महाविद्यालयों में खेल सामग्री उपलब्ध करा दी गई है। साथ ही आज-कल बड़े-बड़े नगरों, महानगरों में जगह जगह सरकारी तथा व्यक्तिगत जीम व प्ले स्टेशन भी खुल गए हैं। जहाँ विभिन्न प्रकार के उपकरणों तथा यंत्रों से व्यायाम भी करवाया जाता है और विभिन्न खेल भी खेले जाते हैं।