Hindi Essay, Paragraph, Speech on “School me Sainik Shiksha”, ”पाठशाला में सैनिक शिक्षा” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
पाठशाला में सैनिक शिक्षा
School me Sainik Shiksha
भारत ने अनेकों वर्षों के संघर्ष के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त की है। न जाने कितने वीर पुरुषों के बलिदान एवं प्रयत्नों से हम अपनी गुलामी की जंजीर तोड़ सके हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उसकी निरंतर रक्षा करते रहना हमारा कर्तव्य है। हम इतने असावधान न हो जाएँ कि फिर से हमें परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ जाना पड़े।
भारत एक विशाल देश है। इसकी सीमाएँ भी विस्तृत है। हमारी सीमाओं पर अनेक देश हैं। पता नहीं कब किसकी दृष्टि कुदृष्टि पढ़ जाये और पाकिस्तान का अनुभव से हमें निरंतर सावधान रहने जाए। चीन भी चेतावनी देता रहता है। देश के अन्दर भी आतंकवादियों की गतिविधियाँ सैनिक शिक्षा की आवश्यकता का भान कराती रहती हैं।
सेना को चप्पे चप्पे पर तैनात करने में जो व्यय आता है उसे हमारा देश सहन नहीं कर सकता। शान्ति काल में भी एक विशाल सेना रखना देश के धन का अपव्यय कहलाएगा। अतएव आवश्यकता के समय देश की पुकार पर शीघ्र ही सैनिक तैयार करने की आवश्यकता होगी। यही कार्य पाठशाला में सैनिक शिक्षा देने से पूरा होगा।
पाठशाला में सैनिक शिक्षा कई प्रकार से दी जाती है। स्काउट ए.सी.सी. तथा एन.सी.सी. के रूप से स्कूलों में सैनिक शिक्षा का प्रावधान है। स्काउट सैनिक शिक्षा का प्राथमिक रूप है। इसमें अस्त्र-शस्त्र चलाना छोड़कर सभी सैनिक अनुशासन का अभ्यास कराया जाता है। इसमें गुप्तचरी संदेशवाहन तथा दिशाज्ञान आदि की शिक्षा दी जाती है। कई युद्धों में स्काउटों ने बिना संदेह के शत्रु के प्रदेश में घुसकर महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
ए.सी.सी. कुछ दिन पाठशालाओं में चली। आजकल बन्द है। इसमें सैनिक परेड, अनुशासन, एवं शस्त्र चालन की शिक्षा दी जाती थी।
आजकल एन.सी.सी. का प्रशिक्षण जारी है। सप्ताह में दो दिन सैनिक परेड होती है। परेड करने के पश्चात केडिटों को अल्पाहार दिया जाता है। वर्ष में एक या दो कैम्प होते हैं। इन कैम्पों में दूर दूर के केडिट आते हैं। प्रशिक्षण होता है। आपस में मिल जुलकर एक दूसरे का परिचय पाते हैं। एन.सी.सी. में शस्त्र चालन का प्रक्षिक्षण भी दिया जाता है। इस प्रकार का प्रशिक्षण सेना के सभी क्षेत्र-स्थल सेना, जल सेना तथा वायु सेना में दिया जाता है। ऐसे प्रशिक्षित नवयुवक आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र ही सेना का स्थान ले सकते हैं। ये प्रशिक्षित केडेट सेना की द्वितीय पंक्ति का काम देते हैं।
सैनिक शिक्षा के द्वारा देश को राष्ट्रभक्त एवं वीर सैनिक मिल जाते हैं। सैनिक शिक्षा से नवयुवकों में अनुशासन, आज्ञापालन, स्वाभिमान जटि सदगुणों का विकास होता है। शारीरिक शिक्षा द्वारा उनका वास्थ्य ठीक बनता है। लोग शक्तिशाली ही और निर्भीक बनते हैं।
कुछ लोगों का विचार है कि सैनिक शिक्षा से छात्र युद्धप्रिय बन जाते हैं। उनमें घमंड की भावना आजारी है। पर यह ठीक नहीं। भारत में अनुशासन का सदा से ही मत्व रहा है। सैनिक शिक्षा उनको समाज का उपयोगी अंग बनाती है। वे समाज और राष्ट्र के लिए कल्याणकारी कार्य ही करते हैं।
सैनिक शक्ति का उपयोग दूसरे देशों की स्वतंत्रता को हड़पने में नहीं किया जाए। इसका उद्देश्य केवल देश की सुरक्षा एवं राष्ट्र का निर्माण ही होना चाहिए। देश की शत्रु । रक्षा करना ही हमारा ध्येय रहना चाहिए।