Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Samachar Patra aur Aam Aadmi”, “समाचार पत्र और आम आदमी” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
समाचार पत्र और आम आदमी
Samachar Patra aur Aam Aadmi
जिज्ञासा ज्ञान की पूर्ति करती है और हर आदमी की यह जन्मजात इच्छा। होती है कि उसे अपने आस-पास घटने वाली सभी बातों की जानकारी मिल जाए। इसके साथ ही वह किसी माध्यम से अपने विचारों को, भावों को अन्य तक पहुँचा सके। समाचार पत्र मनुष्य की इसी इच्छा को पूरा करने का काम करता है। समाचार पत्रों के माध्यम से वह बाहरी वातावरण को जान सकता है। देश में, विदेश में क्या हो रहा है, इन सब की जानकारी प्राप्त कर सकता है।
आज के समय समाचार पत्र को शक्ति का स्रोत माना जाता है। इन पत्रों की शक्ति के सम्मुख बड़े-बड़े शक्तिशाली लोगों को भी हार माननी पड़ी।
इतिहास देखें तो, भारत में समाचार पत्रों का प्रचलन अंग्रेजों के समय से आरंभ हुआ। बंगाल गजट, पहला अंग्रेजी का समाचार पत्र है जो कलकत्ता से निकलता था। फिर धीरे धीरे हिन्दी तथा अन्य प्रादेशिक भाषाओं में भी कई समाचार पत्र निकलने लगे। हमारे हिन्दी के साहित्यकारों ने भी अपना अनमोल योगदान देकर समाचार पत्रों का विकास किया।
जब कभी किसी देश पर कोई संकट आता है तो समाचार पत्रों का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। समाचार पत्र, सूचनाएँ प्राप्त करने का इतना सस्ता साधन है कि कोई भी आम आदमी इसे आसानी से खरीद सकता है, आज के वैज्ञानिक युग में कई साधन विकसित हो चुके हैं जिसके माध्यम से समाचार पत्रों की तरह ही हम समाचार पा सकते हैं फिर भी समाचार पत्रों का अपना महत्व है।
समाचार पत्रों के माध्यम से पाठक अपना मानसिक विकास कर सकते हैं, अपनी समस्त जिज्ञासाओं को शान्त कर सकते हैं आदि । साहित्य की दृष्टि से देखें तो हम कई साहित्यकारों की कविताएँ, लेख, कहानी, उपन्यास (कई अंशों में) पढ़ सकते हैं, जो कि इस मॅहगाई के दौर में उनकी पुस्तकों से पड़ना शायद ही संभव हो।
परीक्षाओं के परिणाम मालूम करने हो या कोई सामान देखना हो इसके लिए। भी हम समाचार पत्रों का सहारा ले सकते हैं।
रिक्त स्थानों की सूचनाएँ, मकान खरीदने-बेचने, सिनेमा जगत की हलचल, नवीनतम उपकरणों की जानकारी, क्रीडा जगत की जानकारी, भावों में उतार-चढ़ाव आदि की भी जानकारी हमें समाचार पत्रों की सहायता से मिल जाती है।
देश के शासकों को यानि सत्तारुढ़ सरकार को बराबर से समाचार पत्र बताते रहते हैं कि जनता की राय उनके कार्यों के बारे में क्या है। पर इसके लिए समाचार पत्रों का निष्पक्ष होना जरूरी है।
ऐसा नहीं है कि समाचार पत्रों से सिर्फ फायदे ही फायदे हैं, समाचार पत्रों के कुछ नुकसान भी हैं जैसे कि इसका दुरुपयोग कर एक राजनीतिक दल द्वारा दूसरे पर कीचड़ उछालना आदि
आज के दौर पर देखा गया है कि कुछ समाचार पत्र व्यावसायिक दृष्टि को प्रमुखता दे रहे हैं। इसलिए वे कामुकता एवं विलासिता को बढ़ाने वाले नग्न चित्र प्रकाशित कर रहे हैं ताकि उनकी माँग बढ़ सके।
सांप्रदायिक समाचार पत्र पाठक के दृष्टिकोण को संकीर्ण बना रहे हैं। झूठे विज्ञापनों की आड़ लेकर पाठकों को ठगा जा रहा है। वेश्यावृत्ति हाइटेक तरीकों से हो रही है।
सच्चा व ईमानदार समाचार पत्र वही है जो निष्पक्ष राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाता रहे। जनता के हित को ध्यान में रख कर समाचार पहुँचाए। एच सच्चे न्यायाधीश के समान होकर हर मसले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिखाए।
समाचार पत्र आम जनता का वह हथियार है जिसके साथ वह बड़े से बडे। सत्ताधारी हो, कुर्सीधारी हो, ऑफिसर हो आदि कहीं भी किसी भी स्थान में हो अगर वह गलत है तो आसानी से लोहा ले सकती है।
साक्षरता बढ़ाने में समाचार पत्रों का अपना योगदान है। विद्यार्थियों को अगर हम बचपन से समाचार पत्रों को पढ़ने की आदत डलवा दें तो उसे नवीन जानकारी तो मिलती ही रहेगी, साथ ही साथ वह ज्ञानी भी होता जाएगा। फिर हम गर्व से कह सकेंगे –
हम उस देश के वासी है।
जहाँ हर बच्चा-बच्चा ज्ञानी हैं।