Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Saddam Hussein” , ”सद्दाम हुसैन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
सद्दाम हुसैन
Saddam Hussein
इराक: 28 देशों से जूझने वाला तानाशाह
जन्म : 1937
अरबी भाषा में ‘सद्दाम’ का अर्थ है- ‘संघर्ष को तत्पर’। इस शब्द को यथार्थ में साबित करने वाले इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल, 1937 में अल ओजा (इराक) के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्हें अपनी मां से पता चला था कि उनका खानदान ब्रिटिश साम्राज्यवादियों से लड़कर मारा गया था। फलतः बचपन से ही उनमें प्रतिक्रियावादी भावनाएं दृढ़ होने लगीं। उन्होंने बगदाद एवं काहिरा के विश्वविद्यालयों में कानुन की शिक्षा प्राप्त की। अपने छात्र जीवन में ही वह बाथ पार्टी तथा क्रांतिकारी परिषद् से जुड़ने लगे। सन् 1964 में उन्होंने अपने साथियों के साथ सत्ता पाने के लिए असफल विद्रोह किया। सन् 1968 में वह उप-राष्ट्रपति तथा बाद में राष्ट्रपति बने। उनका विवाह साजिदा के साथ हुआ।
सद्दाम हुसैन ने इराक को शिक्षित, विकसित, समृद्ध तथा जाग्रत राष्ट्र बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। महान बेबीलोनियन सम्राट नेबूचदरज़र (ईसा से 600-560 पूर्व) तथा कर्नल नासिर (1918-1970) को अपना आदर्श मानकर सद्दाम ने अरब जगत में इराक की विशेष पहचान बनाई। उन्हीं की वजह से इराक शिक्षित तथा उदार धार्मिक नजरिए वाला देश बन सका। सन् 1979 में इराक का अपने पड़ोसी देश इरान से युद्ध प्रारंभ हुआ, जो आठ वर्षों तक चला। इस अनिर्णित युद्ध में अपने लाखो व्यक्ति तथा अरबों डॉलर की संपत्ति खोने के बावजूद उसने अपने पुराने प्रांत कवैत को अपने कब्जे में लेकर सारे विश्व में हड़कंप मचा दिया। कुवैत पर इराकी नियूँत्रण को अमरीका तथा ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देशों ने अपने लिए चुनौती समझा। यह देश नहीं चाहते थे कि अरब तेल संपदा पर उनके अतिरिक्त कोई और काबिज हो। अतः दोनों ओर से भयंकर युद्ध छिड़ गया। अमरीका की ओर 28 राष्ट्रों की सेनाएं थीं, जबकि इराक अकेले लड़ रहा था। दोनों पक्षों ने स्कड’ और ‘पेट्रियाट’ मिसाइलों सहित अत्याधुनिक अस्त्र आजमाए। इस युद्ध में इराक में भयंकर तबाही हुई। अंततः उसे कुवैत छोड़ना पड़ा। युद्ध के बाद सद्दाम को कर्द एवं शिया विद्रोहियों से जझने तथा इराक के पुनर्निर्माण में व्यस्त हो जाना पड़ा। कुर्दो पर उन्होंने भारी अमानवीय अत्याचार ढाए।
सद्दाम हुसैन 20वीं सदी के सर्वाधिक चर्चित राष्टाध्यक्षों में एक हैं। वह कितने ही निर्मम तानाशाह क्यों न हों, उन्होंने अपने देश के स्वाभिमान और बलंद हौसलों को भारी कीमत चुकाकर भी सुरक्षित रखा है।