Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Rashtriya Ekta”, “राष्ट्रीय एकता” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Rashtriya Ekta”, “राष्ट्रीय एकता” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राष्ट्रीय एकता

Rashtriya Ekta

प्रस्तावना : क्षेत्रफल, जनसंख्या, भाषा और वेशभूषा आदि की दृष्टि से भारत एक उपमहाद्वीप कहा जाता है। यहाँ के विभिन्न राज्यों के निवासी बाह्य दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न प्रतीत होते हैं। भाषाओं की दृष्टि से तो संसार के अन्य किसी देश में इतनी अधिक भाषाएँ नहीं बोली जाती हैं। इतनी विभिन्नता होने पर भी यहाँ एक ऐसी एकता पाई जाती है जो सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में बाँधे हुए है।

एकता की आवश्यकता : स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात् से ही देश में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती रही हैं। इन समस्याओं में साम्प्रदायिकता की समस्या प्रमुख है। भारत का विभाजन भी इसी साम्प्रदायिक आधार पर हआ। आज भी यही समस्या वर्तमान हे। यही समस्या भारत के गणतन्त्र की एकता सार्वभौमिकता को छिन्न-भिन्न करने के स्वप्न देखती है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो दूसरे देश हम पर आँख जमाए बैठे हैं। पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश हमारी स्वतन्त्रता को हड़पने का प्रयास करेंगे अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए तथा उन्नति के लिए राष्ट्रीय एकता आवश्यक है, यही बात 25 जुलाई 1975 को रोटरी । क्लव समारोह नई दिल्ली में स्व० श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भी कहा था – कि देश की जनता के प्रत्येक वर्ग में एकता के बिना देश कदापि उन्नति नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में देश में अनुशासन तथा सहयोग के वातावरण की बड़ी आवश्यकता है।

 

एकता के कारण : अनेक विभिन्नताओं के होते हुए भी जब हम एकता के कारणों पर विचार करते हैं, तो हमें ज्ञात होता है कि इस एकता के कारण धार्मिक भावना, आदर्शात्मकता, समन्वय की भावना, दार्शनिकता, साहित्य, संगीत और नृत्य आदि अनेक ऐसे तत्त्व हैं, जिन्होंने देश को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरो रखा है।

धार्मिक भावना : यद्यपि भारत में हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम, जैन और पारसी आदि अनेक धर्म हैं, जो आपस में पर्याप्त भिन्नता रखते हुए भी अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता तथा उदारता की भावना रखते हैं। हिन्दू धर्म के द्वादश ज्योतिर्लिंग, सात पुरी तथा विचित्र तीर्थ स्थान सम्पूर्ण देश में फैले हुए हैं।

आदर्शात्मकता : इस देश के निवासी यथार्थ की अपेक्षा आदर्श प्रेम का परोपकार, संयम आदि की भावनाओं का समावेश हैं जिससे आपस में हमारी राष्ट्रीय एकता की सम्पन्नता में बल मिलता है।

दार्शनिकता : दर्शन का प्रधान लक्ष्य आनन्द है और सभी लोग विभिन्न प्रकार से आनन्द ही प्राप्त करना चाहते हैं। अतः आपस में राष्ट्रीय एकता से रहना सीखते हैं।

साहित्य : साहित्यकारों ने संकुचित विचार त्याग कर सभी धर्मों को अपनाया। रहीम ने राम को अपना आराध्य मानकर राष्ट्रीय एकता व साम्प्रदायिक सद्भावना का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।

संगीत और नृत्य : हिन्दू तथा मुसलमान गायकों एवं नृत्यकारों ने सभी धर्मों के गीत तथा भाँगड़ा, कत्थक, कथकली और ताण्डव आदि सभी प्रकार के नृत्यों को प्रदर्शित कर परस्पर राष्ट्रीय एकता का अच्छा परिचय दिया है ।

एकता में बाधाएँ : स्वार्थ की भावनाओं, प्रान्तीयता और भाषावाद आदि को लेकर समय-समय पर राष्ट्रीय एकता में कुछ लोग बाधक बने हैं। अंग्रेज हिन्दू-मुसलमानों में फूट डालकर ही अपना उल्लू सीधा करते रहे और जाते-जाते आपस में वह बीज डाल गए जो आज भी हरे बनने का प्रयास करते हैं। जयचन्द ने पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए ही देश को विदेशियों के हाथ में सौंप दिया था। आज भी भाषावाद के कारण अनेक राज्यों में झगडे होते रहते हैं। आर्थिक विषमता भी राष्ट्रीय एकता में बाधक है।

एकता के लिए प्रयत्न: हमारी राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ हो सके इसके लिए सरकार और जनता सभी को सम्मिलित प्रयत्न करना चाहिए। आज भारतभूषण के शब्दों में भारत माँ की पुकार है कि सभी एक हो जाओ।

द्रुपद की माँ के खुले केश ने पुकारा,

आज भारत माँ की पुकार है एक हो जाओ।

जनतन्त्र और राष्ट्रीय एकता : आज हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रीय एकता पर ही आधारित है। इसके चले जाने पर सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में बँधना पड़ा था। आज जनता का अपना राज्य है। हमें एकता के सूत्र में बँधकर और जमकर इसकी रक्षा करनी है। जिससे अपना राज्य जब तक हम हैं या हमारी पीढ़ी है तब तक बना रहे।

उपसंहार : यद्यपि विघटन की प्रवृत्ति हमें झकझोर डालती है। और एकता पर संकट-सा प्रतीत होने लगता है; पर देश की आत्मा बलपूर्वक अपनी एकरूपता को प्रकट कर देती है। हर्ष की बात है। कि आज भारत अपनी राष्ट्रीय एकता के लिए राष्ट्रीय आय का तीन प्रतिशत व्यय कर रहा है और सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। हम जनता से भी अनुरोध करते हैं कि वे अपने पूर्वजों के वाक्यों का सम्मान कर राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बँध जाएँ।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *