Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Rango Ka Tyohar : Holi”, “रंगों का त्योहार : होली” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
रंगों का त्योहार : होली
Rango Ka Tyohar : Holi
रोज-रोज एक ही तरह का काम करते-करते आदमी में एक नीरसता आ जाती है। इसलिए पर्व के आने से नया उत्साह और उमंग पैदा होती है। इस प्रकार के पर्यों में होली का प्रमुख स्थान है। होली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है। खुशियों से भरा यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली के अवसर पर लोग थोड़े समय के लिए अपने दुख-दर्द को भूल जाते हैं। होली धार्मिक भावनाओं से जुड़ी हुई है।
होली पर्व के साथ हिरण्यकश्यपु और उसके पुत्र प्रह्लाद की कहानी जुड़ी है। नास्तिक पिता का आस्तिक पुत्र अग्नि में डाल देने पर भी बच निकलता है। उसे साथ में लेकर अग्नि में बैठने वाली हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका जलकर राख हो जाती है।
इसी भावना से जुड़कर फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात में लोग होलिका दहन करते हैं। अगले दिन रंग-अबीर लगाकर बसंतगायन का स्वागत करते हैं। रंग और गुलाब से सारा वातावरण रंगीन हो उठता है। इस अवसर पर लोग स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।
यह पर्व एकता और भाईचारे का पर्व है। सभी लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। इस अवसर पर जाति, धर्म और ऊँच-नीच का कोई भेद-भाव नहीं देखा जाता है। सभी एक ही रंग में रंग जाते हैं। आपसी मन-मुटाव इस अवसर पर खत्म हो जाता है।
यह पर्व मौज और मस्ती का है। मौज-मस्ती का अर्थ हंगामा और अश्रृंखलता नहीं है। प्रायः लोग अपनी खुशियों के लिए दूसरों की भावनाओं पर ध्यान नहीं देते हैं। इससे आपस में तनाव हो जाता है। इसके अलावा हमें समझना चाहिए कि रंग आदि रासायनिक पदार्थ हैं। आँख, मुँह आदि में रंग जाने से अनेक प्रकार के रोग होने की संभावना रहती है। हुड़दंग करके कुछ लोग इस पर्व की खुशियों को दुख और द्वेष में बदल देते हैं। यह बुरी बात है। होली के पर्व को शालीनता से मनाना चाहिए।