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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Raj Kapoor” , ”राज कपूर” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राज कपूर

Raj Kapoor

 

भारतः हिंदी सिनेमा के महान शो मैन

जन्म : 1924 मृत्यु 1988

समाजवाद के साथ रूमानी सपनों को परदे पर उतार लाने वाले हिन्दी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ फिल्मकार राज रणबीर कपूर का जन्म विख्यात सिने कलाकार पृथ्वीराज कपूर के यहाँ 14 दिसंबर, 1924 को हुआ था। अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म ‘इंकलाब’ (1935) थी तथा नायक के रूप में वह पहली बार केदार शर्मा की फिल्म ‘नीलकमल’ (1947) में आए। उनका विवाह कृष्णा कपूर से हुआ। विवाह के बाद वह डेढ़ दशक तक समकालीन दिलीप कुमार व देव आनंद के साथ चोटी के अभिनेता बने रहे। 2 जून, 1988 को जब उनका देहांत हुआ, तो उनके प्रशंसक एवं चाहने वालों को यूं लगा, जैसे ‘सर्कस’ उठ गया हो।

राज कपूर के आर.के. बैनर की फिल्मों का अपना विशिष्ट इतिहास है। राज कपूर की जो फिल्में विश्व सिनेमा की धरोहर मानी जाती हैं, उनमें ‘आवारा’ (1951), ‘श्री 420’ (1955), ‘संगम’ (1964) तथा मेरा नाम जोकर’ (1970) अविस्मरणीय हैं। इन फिल्मों को चीन, सोवियत संघ, हंगरी, ब्रिटेन, अमरीका, जापान, आदि में भी लोकप्रियता मिली। उनका गुनगुनाया गीत ‘आवारा हूं’ सरहदों के पार दूर देशों में भी गूंजा। राज कपूर ऐसे पहले और एकमात्र फिल्मकारअभिनेता थे, जिन्हें विश्वव्यापी ख्याति मिली। समाजवादी देशों के लोग उन्हें आज भी भावुकता से याद करते हैं। स्व. राज कपूर को ‘ग्रैंड प्रिक्स एवार्ड’ (1957), ‘पद्म भूषण’ (1971) तथा ‘दादा फालके पुरस्कार’ (1987) के अतिरिक्त बहुत से ‘फिल्म फेयर’ एवं अन्य मान-सम्मान प्राप्त हुए। उनकी कुछ और बहुचर्चित फिल्में हैं- ‘आग’ (1948), ‘अंदाज’ (1949), ‘बरसात’ (1949), ‘आह’ (1953), ‘बूटपालिश’ (1954), ‘चोरी-चोरी’ (1956), ‘जागते रहो’ (1956), ‘अनाड़ी’ (1959), ‘जिस देश में गंगा बहती है’ (1960), ‘छलिया’ (1960), ‘दिल ही तो है’ (1963), ‘तीसरी कसम’ (1966), ‘बॉबी’ (1973), ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ (1978), ‘प्रेमरोग’ (1982) तथा ‘राम तेरी गंगा मैली’ (1985)। ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) उनकी सबसे महत्त्वाकांक्षी फिल्म थी। इस एक फिल्म में उनका सारा जीवन दर्शन साकार हुआ है। ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘संगम’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘बॉबी’. ‘प्रेम रोग’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ आदि। फिल्मों ने उन्हें हिंदी चित्रपट का ‘महान शो मैन’ का दर्जा दिया।

राज कपूर को चार्ली चैप्लिन, पं. नेहरू, खश्चेव आदि विश्व की अजीम हस्तियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ था। चेहरे पर मासूमियत के साथ प्यार के सपनों की बरसात करने वाले राज कपूर का विश्व सिनेमा में योगदान भुलाया नहीं जा सकता।

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